________________ कमल नलिनं पद्म नालीकमुत्पलं पुनः / कुवलं कुमुदं चेत्यम्बुजं च पुनपुंसके // 161 // अरविन्दादयः शेषास्तभेदाश्च नपुंसके / कुमुवती स्त्रियां तत्र बीजकोश-द्वयं नरि // 162 // स्त्री कर्णिका पद्मनालं मृणालं च त्रिषु स्मृतम् / किंजल्कं केसरं कन्दो निर्यासं पुनपुंसके // 163 // , पद्ममस्त्री. तदा ज्ञेयमब्जसंख्याविशेषयोः / अब्जोऽस्त्रियां विधौ शंखे चाम्बुजेऽब्जं नपुंसकम् // 164 // शालूकं क्लीबलिंगेऽथ शैवालं शेवलं पुनः / / शेवालं शैवलं शेपालं जलशूकमस्त्रियाम् // 165 // पुंक्लीबयोः पलाण्डुश्च धान्यं क्लीबेऽथवा नरि / वीहिः स्तम्बकरिश्चाशुगर्भपाकी तु षष्टिकः // 166 // शालयः कलमाद्याश्च पुंल्लिगे क्लीवमाशु वा / पुंस्त्रीलिंगे मसूरो वा कलावस्तु सतीनकः // 167 // हरेणुः खण्डिकश्चाथ चणको हरिमन्थकः / एते पुंस्यस्त्रियां माषः कलम्बी पुंस्त्रियोरिह // 168 // मदनादयस्तु पुंल्लिगे ताम्रवृन्तादिकं स्त्रियाम् / कुल्मास-प्रमुखाः पुंसि कुल्माषोऽपि मतान्तरे // 169 // कंगुस्तु कंगुनी क्वंगुः प्रियंगु पीततण्डुला / ... काककंगुरिमे नार्यामुद्दालाद्यास्तु पुंस्यपि // 170 // देवधान्यं शणं क्लीबे भंगादयः स्त्रियामपि / / गवेधुः पुंस्त्रियोरुत्रं पुंल्लिगे जतिलादयः // 171 // अस्त्रियां सस्यशूकं च कणिश-सणु-रस्त्रियाम् / किंशारुः पुंसि वा क्लीबे त्रिषु नालं मतं किल // 172 // काण्डः पलः पलालश्च बुसं शाकं च शिग्रकम् / एतेऽस्त्रियां च पुल्लिगे तण्डुलीयादिकं पुनः // 173 // बिम्बी-प्रभृतयो नार्या वास्तुकं च नपुंसकम् / रसोनो लशुनश्चास्त्री नाऽरिष्टो गूंजनोऽस्त्रियाम् // 174 // दीर्घपत्रकमुख्याश्च पुंसि कारुरेव च / . द्वयोः पदोलिक रु स्त्रीलिंगे चिर्भटी-त्रिकम् // 175 //