________________ नान्तो मज्जा भवेत् पुंसि स्त्रीलिंगे त्वक् त्वचा पुनः / अदन्तोऽपि त्वचः पुंसि टापि मज्जा स्त्रियामपि // 131 // वल्कं तु वल्कलं स्थाणुरतिखरो गृषण्ढयोः / / पुमान् शङ्कुस्तथा दारुः कोटरः पनसोऽस्त्रियाम् // 132 // मज्जा च मज्जरिर्नार्या वल्लरि-वल्लरी द्वयोः / पलाशं छदनं पर्ण किसलयं नपुंसके // 133 // पत्रं छदं दल बह प्रवालः पल्लवोऽस्त्रियाम् / / पुस्त्रियोर्वर्तते शुंगा माढिदलस्नसा स्त्रियाम् // 134 // विटपः कुसुमं चास्त्री पुष्पं क्लीबेऽथवा नरि / प्रसूनत्रितयं क्लीबे मूम्नि सुमनसः स्त्रियाम् // 135 // एकत्वे सुमना नार्या कश्चिनपुंसके पुनः / जालकं क्लीबलिंगेऽथ क्षारकः कोरकः पुनः // 136 // कुड्मलो मुकुलं कुंदं स्तबकश्वास्त्रियाममी। पुंसि गुच्छो गुस्स क्लीबे गुलुञ्छोऽपि तथैव हि // 137 // परागोऽपि रसं पुंसि मधु क्लीबेऽथवा नरि / मकरन्दो मरन्दो ना भवेत् वृन्तं नपुंसके // 138 // स्मिते त्रिषु प्रबुद्धाद्याः तद्वत् संकुचितादिकम् / फलं पुंक्लीवलिंगे स्वाद् दाम शलाटु च त्रिषु // 139 // पुंसि ग्रंथिरदन्तो वा क्लीबे पर्व परस्तथा / स्त्रियां शिम्बा शमी शिम्बिः द्वयोः शिमिस्तु पिप्पलः // 140 // प्रायोऽश्वत्थादयः पुंसि वटस्त्रिलिंगसूचकः / .. प्राह सर्वधरो विद्वान् स्त्रीलिंगे पर्कटी जटी // 141 // उदुम्बरः पुमान् वृक्षे स्यात् ताने च नपुंसके / ' काकोदुम्बरिका फल्गुमलयुर्जघनेफला // 142 // स्त्रियां, जम्बूः स्त्रियां क्लीवे फल्गु पुंस्वपि कश्चन / आम्रादयो नरे शिगुरस्त्री कंकेल्लिरंगना / / 143 // ककुभाया नरे रम्भा मोचा स्त्री कदली न ना / / वेतसो बाण-कर्कन्धू रिपर्णी तु पुस्त्रियोः // 144 // शीत पुंस्यथवा क्लीये कुवली दाडिमी त्रिषुः।। " स्त्री कोल्बिदरं क्लीवे वृक्षे तु बदरी स्त्रियाम् // 145 //