________________ प्लुष्ट-पुष्टादयो पुसि क्लीबेच छिद्रितादिकम् / द्रुवस्तु विदुतः पुंसि नपुंसकमुतादिकम् // 8 // विदरो ना भिदा मार्ग क्लीक वंगीकृतादवः / / तिमिताद्याः पुनः पुंसि क्लीबे प्रस्थापितादिकम् / / 82 // तप्ताद्याः सन्ति पुल्लिगे शीतं स्त्यान नपुंसके / उपनतादयः पुंसिः प्रवृद्धाद्याश्च षण्ढके / / 83 // अस्त्रियां कर्म। संविष्ट क्रिया विधा स्त्रियामपि / स्यादास्याऽऽस्थाऽऽमना चैव स्थितिरेते स्त्रियामिह // 84 // . प्रतिबन्धः प्रतिष्टम्भ. आवेशाद्या नरे मताः / / गति :डा स्त्रियामा विहार-त्रितयं नरे / .85 // व्रज्याऽटाटो स्त्रियां चर्या व्यत्यासाद्याः पुनरि / स्फातिवृद्धिस्तु. कामिन्यां प्रीणनाद्या नपुंसके / 86 // पर्याप्तिः प्रणतिः नार्या प्रणिपातादयो नरि / :स्त्रीलिंगे परिपाट्यावृत् , स्त्री क्लीबे चानुपूपि // 87 // अतिपातादयः पुंसि संकटं तु मपुंसकम् / कामादयोऽपि चत्वारोप्यकारान्सा अमव्ययाः // 8 // अव्ययास्तु, मकारान्ता गाढादयस्तु षोडशः / . अद्रव्ये वर्तमानाः स्यु नपुंसकनिदिनः // 89 // एषां मध्ये भवेद्य यत्ततामिवाचि त्रिषु स्मृतम् / जृम्भणालिंगने कलीने जृम्भा त्रिलिंगवाचिनी // 90 परिष्वंगस्तु संश्लेषा परीरम्भब पुंस्यपि / स्यादूपगृहतं कलीये अंकपालीद्वयी खियाम् // 91 // उत्सवाथे महोदन्तः पुंल्लिगकायकः खलु / / .. तेजोऽर्थे तु महः सान्तं क्लीने, पुंस्युङ्वादयः // 22 // अस्त्रियां संगमस्तत्राभ्युपात्तिः स्त्रियामिह / . अन्तरायं च षण्टेऽपि वेला स्त्री वारमन्तरम् // 93 // एतद् पुंक्लीवलिंगे स्याद् अभ्यादामं नपुंसकम् / .. उपोद्घातादयः मुनिः प्रयोगः कार्मणे नरि // 94 // 15 भवेदारोहणं क्लीबे कांतिणभादक निमाम् .... विनमः . स पुति तथा परिचयकम् ANE