________________ पौरस्त्यमादिम वाच्यं प्रथमं पूर्वमेव हि / अग्रमेते विष प्रोक्ताः ना आदिः आविष्टलिंगकः // 66 // जघन्यमन्तिम चांत्यमतः पाश्चात्यपश्चिम / चरमं वाच्यलिंगाः स्युः अन्तः स्त्रीलिंगवर्जितः // 67 // नपुंसक मध्यमाद्याः प्रायश्चान्तरमस्त्रियाम् / तुल्यादयो नरे तत्र समानोऽस्त्री परस्त्रिषु // 68 // स्युरुत्तरपदस्थाश्च प्रख्याद्या वाच्यलिंगकाः / अर्चा तुलोपमा कक्षा प्रतिमा प्रतियातना // 69 // प्रतिकृतिः प्रतिच्छाया योपिल्लिगे भवन्त्यमी / अनुकारोऽनुहारो स्यात् प्रतिनिधिश्च सर्वदा // 70 // प्रतिकायः प्रतिच्छन्दः पञ्चामी पुसि भाषिताः / साम्बोपम्योपमानानि प्रतिरूप-त्रिकं पुनः // 71 // पडते क्लीबलिंगे स्युः सूर्मी शूर्मी च योषिति / शूमोदन्तस्तु पुल्लिंग स्थूणा च हरिणी खियाम् // 72 प्रतिकूलादयोऽपष्टु-पर्यता वाच्यलिंगकाः / क्लीबे सव्यादयस्तत्राऽस्त्रियां वृत्तं त्रिषूलबणः // 73 // अन्यद अन्यतर भिन्नं त्वमेकमितरच्च तत् / . अन्यार्थवाचका एते वाच्यलिंगा उदारिताः // 74 // करम्बाधा नरे तत्र विविधादि द्वयोराप / अविलंबित-पर्यतास्तरिताधा नपुंसके // 75 // गुणिवृत्तौ पुनरत वाच्यलिंगाः भवन्ति च / स्त्री झम्पाऽथ पुमान् भम्पाऽनारताधा नपुंसके // 76 // तत्र साधारणं चैव दृढसंधि तु संहतम् / वाच्यलिंगास्त्रपश्चामी कलिलाधा नपुंसके // 77 // अन्तर्द्धिस्तत्र पुल्लिंगेऽप्यन्ता व्यवधा स्त्रियाम् / रीढाऽवज्ञा पुनर्नार्यामवहेलं मतं त्रिषु // 78 // दोला प्रेक्षा पुनर्नार्या फाण्ट क्लीबेऽपरो नरि / अधःक्षिप्तादयः क्लीबेऽथ चाऽऽविद्धं मतं त्रिषु // 79 // वृत्तादयः स्मृताः पुंसि कश्चिदारोपिते पुनः / . उपाहितः त्रिपु. ब्रूते पक्वादयो नपुंसके // 8 //