________________ शीतं क्लीबे सुषीमश्च सुशीम वाच्यलिंगकः / / तुषारः शिशिरश्चात्र हिमोऽपि पुनपुंसके // 21 // . पक्षे शीतादयः सप्त स्वगुणे पुंसिं वर्तिनः / तवति वाच्यलिंगाः स्युरेवं वदन्ति केचन // 22 // उष्णस्तिग्मश्च तीवोऽपि तीक्ष्णश्चण्डः खरः पटुः / सप्तामी स्वगुणे पुंसि त्रिलिंग्यां किल तवति // 23 // मिश्राश्चोष्णादयः क्लीबे त्रिलिंगाश्चेह तवति / कोष्णादयस्तु पञ्चामी पुल्लिगे तद्वति त्रिषु // 24 // इमे क्लीबे गुणे मिश्राः स्युनिष्ठरादयस्त्रिषु / .. तत्रास्ति कर्कशोऽप्यस्त्री पुंल्लिगे कोमलादयः // 25 // मधुराधा रसाः पुंसि गुणमात्रप्रवर्तिनः / तवत्सु वाच्यलिंगाश्च कषायस्तुवरोऽस्त्रियाम् // 26 // गुणे गंधादयः पुंसि तवति च त्रिलिंगकाः / आमोदाद्याश्च विश्रान्ताः गुणवृत्तौ त्रिषु स्मृताः वर्णाश्च लोहितः कालो मेचको नीलधूमलौ / / पुनपुंसकयोरेते शेषाः शुक्लादयोऽप्यथ // 28 // कर्बुरान्ता नरि ख्याताः स्वगुणे तद्वति त्रिषु। . किम्मीरप्रमुखा एवं चित्रं चित्रो मतान्तरे // 29 // पुंसि शब्दादयो वाच्या आरवः पुनपुंसके / षड्जादयः स्वराः सप्त तन्त्रीकंठोदभवा नरि // 30 // रुदितं त्रितयं क्लीवे पुल्लिगे गह्वरादयः / सत्कृित पर्दनं चैव कर्दनं च नपुंसके // 31 // . स्त्री श्वेडा क्रन्दनं क्लीबे कोलाहलोऽस्त्रियामपि / कलंकलादयः पुंसि हेषा हेषा स्त्रियामिह // 32 // गर्जः स्त्रीपुंसयोः क्लीबे बृंहितं हस्तिनिःस्वने / / विस्फारो धनुषां पुंसि हम्मारम्भे च गोः स्त्रियाम् // 33 // स्तनितं गर्जितं क्लीबे गर्जिः पुमानितः पुनः / द्रु रान्ता स्त्रियास पुंसि क्लीबे च गदिता किल // 34 // तारोऽत्युच्चैर्ध्वनिः प्रोक्तो मंद्रो गंभीर एव च / . स्यात्कलो मधुरोऽव्यक्तस्त्रय एते त्रिषु स्मृताः // 35 // .