________________ चरितम् ] लघुत्रिषष्टिशलाकापुरुषचरितम् [ 257 श्रीब्रह्मदत्त-द्वादशचक्रिचरितम् / श्रीनेमितीर्थे ज्ञातत्वात् श्रुतोक्तोत्तमपुंस्त्वतः / . त्रिषष्टिसंख्यासंपूत्यै ब्रह्मदत्तोऽपि कीर्त्यते // 1 // साकेतपुर्या श्रीचन्द्रावतंसतनयो नयी / मुनिचन्द्रनृपो जम्बूद्वीपेऽत्र भरतेऽजनि // 2 // स च सागरचन्द्रर्षेगिरा तत्याज राजताम् / विजहार समं तेन सार्थाद् भ्रष्टो वनेऽभ्रमत् // 3 // तस्योपचर्या विदधे चतुभिर्वल्लवैर्वने / तेऽपि बुद्धा व्रतं लात्वा तेपिरे दुष्करं तपः // 4 // चतुर्ध्वपि द्वौ श्रमणौ जुगुप्सां धार्मिकी हृदि / चक्रतुस्तेऽथ चत्वारो दिवं जग्मुस्तपोबलात् // 5 // च्युत्वा जुगुप्सको जातौ दास्यां शाण्डिल्यवाडवात् / / - ब्रामणौ तरुणौ क्षेत्रे दष्टौ दुष्टाहिना मृतौ // 6 // कालिजरे मृगौ जातौ विव्याध व्याध एव तौ / मृतप्रक्षेपगङ्गायामायातौ हंसजन्मनि // 7 // तौ शाकुनिकजालान्तःपातेन तेन नाशितौ / वाराणस्यां भूतदत्तमातङ्गाधिपतेः सुतौ // 8 // चित्रो ज्येष्ठो लघुर्नाम्ना सम्भूतः स्निग्धमानसौ / / रममाणौ कलापूर्णौ शङ्खस्तत्र नृपस्तदा // 9 // पुरोधा नमुचिस्तस्याऽपराधेऽस्य महीयसि / वधाय भूतदत्तायाऽर्पितस्तेनोदितः स तु / 10 / रक्षामि त्वां यदा सून्वोः पाठं कारयसे रहः / प्रपन्नं तद्वचस्तेन जिजीविषुपुरोधसा // 11 // पाठयस्तनयौ भूमिगृहस्थस्तस्य भार्यया। रेमे पितुस्तज्जिघांसां मत्वा छात्रौ तमूचतुः // 12 // इतो याहीति सोऽनेशनिशि तद्दर्शिताऽध्वना / हस्तिनापुरमायातं चक्री चक्रेऽथ मन्त्रिणम् // 13 // तौ मातङ्गसुतौ गीतनृत्यवाद्यकलापटू / नागरानागरीश्वाऽपि रागयोगाद् ररञ्जतुः // 14 // ततः कुलीनाः कौलीनं तयो राजे न्यवेदयन् / आभ्यामभेदतो लोकः शुचिरप्यशुचीकृतः // 15 // ल. त्रि. 33