________________ 252 ] महोपाध्यायश्रीमन्मेघविजयविरचितम् [ श्रीनेमिनाथ - ब्रह्मलोके सुरश्च्युत्वा मत्यों देवस्ततः पुमान् / ___उत्सपिण्यां केशवस्त्वत्तीर्थे मोक्षमवाप्स्यति // 476 // . विजहाराऽन्यतो नेमिस्तन्मत्वाऽवसरं कुधीः / द्वैपायनः पुरीं दग्धुं समा एकादशाऽत्ययात् // 477 // जने प्रमते चामाम्लकरणेऽप्य«दर्चने / प्रादुरासन् महोत्पाताः ववुर्वाता नृघातकाः // 478 // बभ्रामाऽग्निकुमारोऽस्यां तं चाऽपश्यन् पुरीजनाः / __रक्ताम्बरं रक्तकृष्णविलेपं स्वप्नमन्तरा // 479 // आपूर्य पुर्या काष्ठादि बाह्याश्च कुलकोटयः / पष्ठिासप्ततिमध्यस्थिताः प्राज्वालयत् सुरः // 480 // वसुदेवं देवकी च रोहिणी माधवो बलः / रथेऽध्यारोप्य मोहेन जग्मतुः पुरगोपुरे // 481 // देवेन स्तम्भिता अश्वा वृषभाश्चलनेऽक्षमाः / रथं स्वयं रामकृष्णौ तमाचकर्षतुः पथि / 482 / तथापि देवकोपेन पन्त्या चानकदुन्दुभिः / प्रपद्याऽनशनं स्वर्ग ययुर्दहनयोगतः // 483 // मार्गे वैरिक्लेशहेतोश्छन्नं निर्ययतू रयात् / / __उद्दिश्य पाण्डवान् नेमि स्मरन्तौ सर्ववेदिनम् // 484 // कुब्जवारकनामा यो रामपुत्रो गृहोर्ध्वगः / ___ वदन् श्रीनेमिशिष्योऽहमिति नीतः सुरैः प्रभुम् // 485 // स व्रतं प्रतिपद्यैव विजहार प्रभोः सह / _ षण्मासी नगरी दग्धा प्लाविताऽधेः पयोभरैः // 486 // कृष्णेऽध्वनि क्षुधार्तेऽगाद् बलः क्ष्वेडाभिवादनम् / निर्णीय प्राविशत् काश्चिन्नगरी भोज्यहेतवे // 487 // गुप्तवेषोऽप्युपालक्षि मुद्रया भोज्यसङ्ग्रहात् / ___ लोकैः प्रज्ञापितो भूपो गोपुरे रोधमादधे // 488 // अच्छदन्तो धार्तराष्ट्रिः पूर्ववैराद् रणोन्मुखः / गजालानं समुन्मूल्य सीरिणैव न्यषिध्यत // 489 // पाणिना रटिमुद्घाट्य कृष्णेन सह भोजनम् / कृत्वा प्रचेलतुर्यामी दिशमुद्दिश्य सत्वरम् // 490 //