________________ 220 ] महापाध्यायश्रीमन्मेघविजयविरचितम् [ श्रीजयचकि राजा मण्डलिकः पूर्व पैतृकाद् राज्यशासनात् / चक्ररत्नादिसम्भूत्या स भूपश्चक्रिता दधौ // 7 // प्राच्यचक्रभृतां नीत्याऽनीत्या' भरतसाधनात् / सुरासुरैर्नृपैविद्याधरैः सेव्यक्रमोऽभवत् // 8 // भुक्त्वा चक्रिश्रियं श्रेयः शिश्राय व्रतमार्हतम् / शरच्छतत्रयी पूर्णा कौमारेऽस्य ययौ सुखात् // 9 // मण्डलित्वे सैव पुनर्दिग्यात्राऽब्दशतादभूत् / / एकोनविंशतिः शती समानां चक्रिताश्रये // 10 // चतुर्वर्षशती दीक्षापर्याये सकलायुषा / समासहस्रत्रितयं नीत्वा प्रापाऽव्ययं पदम् // 11 // श्रीहेमचन्द्रोदितजैनवाक्याम्भोधेविंशोधेरिव शुद्धबोधे / / उद्धृत्य मेघेन भृते सुधायाः कुम्भोपमे सप्तम पर्व रेजे // 12 // इति श्रीलघुत्रिषष्टीयचरिते विनयविलासनाम्नि श्रीजयचक्रिचरितं सम्पूर्णम् // ग्रं. 12 // - रामकृष्णचरित सहितं श्रीनेमिनाथचरितम् / प्रणम्य परमानन्दरमानन्दनमद्भुतम् / श्रीनेमिनं जिनं रामविष्णुसेव्यं स्तुवेऽत्र तम् // 1 // जम्बूद्वीपस्थिते क्षेत्रे भरते वरतेजसि / अचलपुरमेतस्य श्री विक्रमधनो नृपः // 2 // .. यथार्थनामा धरणी मूर्तेव धारिणी प्रिया / राजा गुणे प्रियश्चापे हृदि सा स्रग्गुणप्रिया // 3 // तयाम्रः कम्रताशाली स्वालीनालिस्वरैर्वदन् / - स्वप्ने दृष्टः पुमानिष्टः कोऽप्येत्य तां जगाविति // 4 // त्वदङ्गणे रोप्यतेऽसावन्यत्रान्यत्र चोप्स्यते / नववारास्ततो हृष्टो नृपस्तुष्टाव तं श्रुतेः // 5 // पुत्रे जाते प्रभातेऽस्य पित्रा चक्रे महोत्सवः / धनोऽयमित्यभिदधे ववृधे स गुणैः समम् // 6 // इतश्च नगरे नाम्ना कुसुमे सुमनोरमे / सिंहभूपस्य दयिता विमला विमला गुणैः // 7 // कन्या धनवती तस्याः कलाभिः कलिताऽऽलिभिः / उद्याने रममाणा सा धनचित्रे क्षणे रता // 8 // 1. न विद्यते ईतिर्यस्यां सा अनीतिस्तया। 2. आलिभिः सखीभिः।