________________ चरितम् | लघुत्रिषष्टिशलाकापुरुषचरितम् [ 213 विमृश्यं नगरक्षोभं रामोऽभिजगृहे तदा / . वने भिक्षामहं लप्स्ये तदात्स्यामि न चाऽन्यथा // 1213 // प्रतिनन्दी नृपोऽश्वेनाऽपहतस्तत्र कानने / विहिताशनसामग्रया रामर्षि प्रत्यलाभयत् / 1214 / नानासनानि कुर्वाणो ध्यानाधीनमनाः स ना। विहरन् स ययौ कोटिशिलां' सौमित्रिणोद्धृताम् // 1215 // रामोऽध्यास्य शिलामेतां क्षपकश्रेणिमाश्रयत् / प्रपन्नध्यानसन्धानं सीतेन्द्रो नन्तुमाययौ // 1216 // वसन्तसमयं कामं प्रोद्दीपयितुमादधे / रममाणा गजेन्द्राद्या रेजिरे नर्मदाजिरे // 1217 // विद्याधरस्त्रियो नृत्यं वितेनुस्तूर्यवादनैः / _गायन्ति स्म विस्मयेन गान्धर्वा गीतमद्भतम् // 1218 // सीतारूपादच्युतेन्द्रः प्रार्थयांचकृवान् भृशम् / रमस्व स्वा वधू बुद्ध्वा पूर्व येनाऽपमानितः // 1219 // नाक्षुभ्यन् मनसा रामो मनागपि विरक्तधीः / - माघशुक्लद्वादशाहे प्रहरे च निशोऽन्तिमे // 1220 // केवलज्ञानमुत्पन्नं रामरच्युताधिपः / महिमानं परे देवा विदधुर्मधुरस्वरैः // 1221 // सुवर्णाम्बुजमध्यास्य रामश्वोपदिदेश तान् / पृष्टः सुरैरभाषिष्ट लक्ष्मणादिगति यतिः॥१२२२॥ रावणो लक्ष्मणोऽन्यश्च शम्बूको नरकावनीम् / - तुर्या गता अमी तस्या उद्वृत्तौ भाविनौ पुरे // 1223 // प्रागविदेहेषु सनयो विजयो विजयावती / तस्मिन् सुनन्दरोहिण्योः पुत्रौ रावणलक्ष्मणौ // 1224 // अर्हद्धर्मपरावेतौ जिनदाससुदर्शनौ / विपद्य सौधर्मसुरौ च्युत्वा सुश्रावको ततः // 1225 // मृत्वा तौ हरिवर्षान्तः पुरुषौ त्रिदशौ ततः / जयापुर्या जयकान्तजयप्रभाभिधौ क्रमात् // 1226 // कुमारलक्ष्म्योः पुत्रौ तौ प्रव्रज्याहतशासने / षष्ठे कल्पे सुरौ दिव्यप्रभावौ च भविष्यतः // 1227 // 1. कोटिशिला भाटे दुमा परिशिष्ट