________________ 158 ] महोपाध्यायश्रीमन्मेघविजयविरचितम् [ श्रीपद्म दर्भस्थलपुरे राजा सुकोशलः प्रियाऽस्य तु / अमृतेति तयोः पुत्री कौशल्यां परिणीतवान् // 371 // नाम्नाऽपराजितामेतां सुमित्रामपराख्यया / कैकेयीं तिलके दंगे पुत्री सुबन्धुमित्रयोः // 372 // युग्मं // तृतीयां सुप्रभाख्यानां पुण्यलावण्यशालिनीम् / विवाह्य रेजे राजाऽसौ मूर्तशक्तित्रयीयुतः // 373 // दशास्यो ज्ञानिनं कश्चित् पप्रच्छ निजपश्चताम् / सोऽप्याचरख्यौ स्त्रीनिमित्तान्मृत्युर्दशरथाङ्गजात् // 374 // बिभीषणं तद्वधाय निर्दिष्टं नारदो मुनिः / मत्वा गत्वा तदभ्यर्णे सर्वमाचष्ट शिष्टधीः // 375 // रहःसंस्थाप्य प्रतिमां जनकेन समं भयात् / निर्ययौ तीर्थयात्रायै दण्डी दशरथो नृपः / 376 / नभसाऽभ्येत्य तमसा व्याप्तां तां प्रतिमा क्रुधा / ___ भक्त्वा बिभीषणो लङ्कां ययौ निःशङ्कमानसः // 377 // तावुत्तरापथं यातौ पुरे कौतुकमङ्गले / पुत्रीं शुभमतेः पृथ्व्यां जातां स व्यूढवान् मुदा / 378! कैकेयी सारथीभूय भ्रामयन्ती रथं रणे / चक्रे पत्युर्जयं सोऽदाद् वरं दशरथस्तदा // 379 // जनके मिथिलां प्राप्ते ययौ दशरथो नृपः / राजगृहे च जगृहे राज्यं जित्वा तदीश्वरम् // 380 // अथेभसिंहचन्द्रार्कान् स्वप्ने 'राज्यपराजिता / __ ददृशे तानेव लक्ष्मीसिन्धुवह्नियुतान् परा // 381 // कौशल्याऽन्या सुमित्रा च क्रमात् स्वप्नानवोचताम् / __ राजाऽबुद्ध श्राद्धधर्माद् बलविष्णूद्भवं गृहे // 382 // बलस्य पूर्व कियताप्यन्तरेण हरेरपि / जन्मोत्सवं नृपश्चक्रे पद्मास्यो ववृधेऽन्वहम् // 383 // नामादधे पद्म इति प्रथमस्यानुजन्मनः / लघोर्नारायण इति तौ मिथः सहचारिणौ // 384 // कलाकलापं गृह्णन्तौ धनुर्वेदस्य पारगौ / दृष्ट्वा सुहृत् सुहृच्चेतस्तदादरमदीधरत् // 385 // 1. अपराजितेति कौशल्याया द्वितीयं नाम / सुमित्राया द्वितीयं नाम कैकेयीत्यपि / भरतमाता कैकेयी प्रसिद्धनामा एव /