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________________ खण्ड २,.प्रकरण : व्याकरण-विमर्श 485 485 1816 हट्टतुटुमलंकिया यहाँ बहुवचन के स्थान में मकार अलाक्षणिक है। 18 // 30 सव्वत्था यहाँ 'त्या' में आकार अलाक्षणिक है / (446) 16 / 27 दंतसोहणमाइस्स यहाँ 'मकार' अलाक्षणिक है। (456) 1966 फरसुमाईहिं / 1967 मुट्ठिमाईहिं / यहाँ मकार अलाक्षणिक है। 2052 चरित्तमायार 21123 अणुतरेनाणघरे यहाँ 'अणुत्तरे' में एकार अलाक्षणिक है / (487) 23 / 25 धम्मं . यहाँ बिन्दु अलाक्षणिक है / (502) 2384 सासयंवासं यहाँ 'सासयं' में बिन्दु अलाक्षणिक है / (511) 25 / 5 भिक्खमट्ठा यहाँ मकार अलाक्षणिक है तथा प्राकृत के कारण 'हा' को दीर्घ और बिन्दु का लोप हुआ है। (523) २६।सू०२३ दीहमद्ध यहाँ मकार अलाक्षणिक है। (585) 30 / 25 भिक्खायरियमाहिया .. यहाँ मकार अलाक्षणिक है और 'भिक्खायरिया' में विभक्ति का लोप है। (607) 30133 आयरियमाइयम्मि यहाँ मकार अलाक्षणिक है / (606). ___36 चक्खुमचक्नु यहाँ मकार अलाक्षणिक है / (642) ९-विशेष-विमर्श 14 - मुहरी यहाँ प्राकृत व्याकरण के अनुसार 'मुखर' के स्थान पर 'मुहरी' का प्रयोग
SR No.004302
Book TitleUttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1968
Total Pages544
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size8 MB
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