________________ खण्ड 2, प्रकरण : 6 व्याकरण-विमर्श 479 2215 लक्खणस्सरसंजुओ प्राकृत के अनुसार 'सर' का पूर्वनिपात होकर इसका संस्कृत रूप 'स्वरलक्षणसंयुतः' होगा। (486) 26 / 23 गोच्छगलइयंगुलिओ यहाँ प्राकृत के अनुसार 'अंगुलि' का पूर्वनिपात किया गया है। इसका संस्कृत रूपान्तर 'अंगुलिलातगोच्छकः' होगा। (540) २६।सूत्र४३ सत्तसमइसमत्ते 'समत्त' का पूर्वनिपात होने पर इसका संस्कृत रूप 'समाप्तसत्वसमितिः' होगा। (560) २६।सूत्र५४ मणगुत्ते 'गुत्त' का पूर्वनिपात होने पर इसका इसका संस्कृत रूप 'गुप्तमनाः' होगा / (561) 30 / 25 अट्ठविहगोयरग्गं 'अग्ग' का पूर्वनिपात होने पर इसका संस्कृत रूप 'अष्टविधाग्रगोचरः' ___होगा। (607) 34 / 4 जीमूय निद्धसंकासा प्राकृत के अनुसार 'निद्ध' का पूर्वनिपात किया गया है। इसका संस्कृत रूप 'स्निग्धजीमूतसंकाशा' होगा। (652) 3517 जिब्भादन्ते 'दंत' का पूर्वनिपात होने पर इसका संस्कृत रूप 'दान्तजिह्वः' होगा। (668) ५-प्रत्यय 1146 / 11 सव्वसो . आर्ष प्रयोग के कारण यहाँ 'तस्' प्रत्यय के स्थान में 'शस्' प्रत्यय हुआ है / (45) 1116 दम्मतो आर्ष प्रयोग के कारण यहाँ 'दमितो' (सं० दमितः) के स्थान में 'दम्मतो' हुआ है / (53) 1136 सासं प्राकृत व्याकरण के अनुसार यह 'शास्यमानं' के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है / (62)