________________ खण्ड 2, प्रकरण : 6 व्याकरण-विमर्श 475 5 / 1 दुरुत्तरं यहाँ सप्तमी के अर्थ में द्वितीया विभक्ति है। टीकाकार ने इस व्यत्यय के साथ-साथ इसे क्रिया-विशेषण भी माना है / (241) 5 / 11 परलोगस्स–यहाँ पंचमी के अर्थ में षष्ठी विभक्ति है। (246) 5 / 16 अकाममरणं-यहाँ तृतीया के अर्थ में द्वितीया है / (248) 5 / 16 सव्वेसु भिक्खूसु-) यहाँ षष्ठी के अर्थ में सप्तमो विभक्ति है / (246) 5 / 16 सव्वेसुऽगारिसु५।३२ सकाममरणं- ) / यहाँ तृतीया के अर्थ में द्वितीया विभक्ति है / (254) 5 // 32 तिण्हमन्नयरं७१२४ कस्स-यहाँ द्वितीया के अर्थ में षष्ठी विभक्ति है। (283) 8 / 2 सिणेहकरेहि-यहाँ सप्तमी के स्थान पर तृतीया विभक्ति है / (260) 88 सव्वदुक्खाणं-यहाँ तृतीया के अर्थ में षष्ठी विभक्ति है / (263) 6 / 35 अप्पाणं-यहाँ तृतीया के अर्थ में द्वितीया विभक्ति है / (314) 6 / 54 माया-यहाँ तृतीया के अर्थ में प्रथमा विभक्ति है / (318) 11 / 6 चउदसहिं ठाणेहिं-यहाँ सप्तमी के अर्थ में तृतीया विभक्ति है। (345) 11 / 8 मित्तेसु-यहाँ चतुर्थी के अर्थ में सप्तमी विभक्ति है / (346) 11115 भिक्खू-यहाँ सप्तमी के अर्थ में प्रथमा विभक्ति है / (348) 11331 सुयस्स.. विउलस्स—यहाँ दोनों शब्दों में तृतीया के स्थान पर षष्ठी -विभक्ति है / (353) 12 / 3 जन्नवाडं-यहाँ सप्तमी के अर्थ में द्वितीया विभक्ति है / (358) 12 / 6 अट्टा–यहाँ चतुर्थी के अर्थ में प्रथमा विभक्त है। (360) 12 / 17 मे-यहाँ द्वितीया के अर्थ में षष्ठी विभक्ति है। (360) 12 / 17 -यहाँ चतुर्थी के अर्थ में षष्ठी का प्रयोग हुआ है / (363) 13 / 10 कडाण कम्माण—यहाँ पंचमी के अर्थ में षष्ठी विभक्ति है। (384) 13 / 26 तस्स-यहाँ पंचमी के अर्थ में षष्ठी विभक्ति है / (360) 14 / 4. कामगुणे-यहाँ पंचमी के अर्थ में द्वितीया विभक्ति है / (367) . 14 / 28 जहिं-यहाँ द्वितीया के अर्थ में सप्तमी विभक्ति है / (404) 15 / 8 आउरे--यहाँ षष्ठी के अर्थ में द्वितीया विभक्ति है। (417) 15 // 12 तं-यहाँ तृतीया विभक्ति होनी चाहिए। (416) - 182 हयाणीए गयाणीए रहाणीए' पायत्ताणीए-यहाँ तृतीया के अर्थ में षष्ठी विभक्ति है / (438) 18 / 10 मे-यहाँ द्वितीया के अर्थ में तृतीया विभक्ति है। (436) 18 / 18 महया-यहाँ द्वितीया के अर्थ में तृतीया विभक्ति है / (441) .