________________ 474 उत्तराध्ययन एक : समीक्षात्मक-अध्ययन पुण्णं 14 / 45 हत्थ हत्थम्मि 159 भोइय भोइया 1716 संजय संजयं 20143 जीविय जोवियं 2043 संजय संजयं 21112 अहिंस अहिंसं 21314 वयजोग वयजोगं 2115 सव्व सव्वं 21115 सव्व सव्वं 24 / 24 उल्लंघणपल्लंघणे उल्लंघने पल्लंघने 25 / 27 मुहाजीवो मुहाजीवों 28 / 17 पुण्ण 28 / 31 निस्संकिय निस्संकियं 28 / 31 निक्कंखिय निक्कंखियं 32 // 14 इंगिय इंगियं 32 / 20 जीविय जीविये . 33 / 11 सोलसविह सोलसविहं . (ख) विभक्ति-व्यत्यय 11 आणुपुब्वि–यहाँ तृतीया के अर्थ में द्वितीया विभक्ति है / (19)* 1 / 31 कालेण–यहाँ सप्तमी के अर्थ में तृतीया विभक्ति है / (56) 1133 नाइदूर-यहाँ सप्तमी के अर्थ में द्वितीया विभक्ति है। (56) 2 / 3 अदीणमणसो–यहाँ प्रथमा के अर्थ में षष्ठी विभक्ति है। वृत्तिकार ने इसके दो रूप किये हैं-अदीनमनाः, अदीनमानसः / (84) 24 एसणं- यहाँ चतुर्थी के अर्थ में द्वितीया विभक्ति है / (86) 2 / 24 तेसिं—यहाँ चतुर्थी के स्थान में षष्ठी विभक्ति और एकवचन के स्थान में बहुवचन का प्रयोग हुआ है। (111) * यहाँ से लेकर पूरे प्रकरण की सभी संख्याएँ बृहद् वृत्ति की पत्र-संख्याएँ हैं /