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________________ 472 उत्तराध्ययन एक : समीक्षात्मक अध्ययन पउराए 81 ___ यहाँ छन्द की दृष्टि से 'रकार' को दीर्घ किया है। नराहिवा 32 यहाँ 'वा' में अकार दीर्घ है। पुणरावि 10 / 16 यहाँ 'रा' में अकार दीर्घ है। कंटकापहं 10 // 32 यहाँ 'का' में अकार दीर्घ है / यह अलाक्षणिक है।' अन्नमन्नमणूरत्ता 135 यहाँ 'णू' में उकार दीर्घ है। भवम्मी 14.1 यहाँ 'म्मी' में इकार दीर्घ है। वी 1413 यहाँ इकार दीर्घ है। इच्छई 155 यहाँ 'इकार' दीर्घ है।३ अगमाहिसी 11 ___यहाँ 'मा' में अकार दीर्घ है। अम्गीविवा 20147 __यहाँ 'वा' में अकार दीर्घ है।' . जत्था 21117 यहाँ अकार दीर्घ है। मंताजोगं 36 / 264 यहाँ 'ता' में अकार दीर्घ है। (ख) दीर्घ का ह्रस्वीकरण पक्खिणी 14141 यहाँ 'णि' में इकार ह्रस्व है। १-वृहद् वृत्ति, पत्र 313 / २-वही, पत्र 340 / ३-वही, पत्र 415 / ४-दही, पत्र 479 /
SR No.004302
Book TitleUttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1968
Total Pages544
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size8 MB
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