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________________ पाँचबाँ:प्रकरण १-निक्षेप-पद्धति निक्षेप नियुक्तिकालीन व्याख्या-पद्धति का मुख्य अंग है। शब्द अनेक अर्थों में प्रयुक्त होते हैं। उनके अप्रस्तुत अर्थों का अग्रहण और प्रस्तुत अर्थ का बोध निक्षेप के द्वारा ही होता है। अप्रस्तुत अर्थों की व्याख्या में तत् तत् शब्द से सम्बन्धित अनेक ज्ञातव्य बातें प्रस्फुटित होती हैं। इस दृष्टि से निक्षेप-पद्धति का ऐतिहासिक मूल्य भी बहुत है। प्रत्येक शब्द का निक्षेप किया जा सकता है और उससे सम्बन्धित समन्न विषयों की व्याख्या करणीय है, किन्तु नियुक्ति व अन्य व्याख्याओं में इतने निक्षेप प्राप्त नहीं हैं। मुख्य-मुख्य शब्दों के ही निक्षेप बतलाए गए हैं। उनमें से कुछेक शब्दों के निक्षेप यहाँ उदाहरण रूप में प्रस्तुत किए जा रहे हैं : १-अंग ___ इसका अर्थ है विभाग। यह चार प्रकार का है-(१) नाम-अंग, (2) स्थापनाअंग, (3) द्रव्य-अंग और (4) भाव-अग। द्रव्य-अंग के छः प्रकार हैं- (क) गन्ध-अंग (ख) औषध-अंग (ग) मच-अंग (घ) आतोच अंग (ङ) शरीर-अंग (च) युद्ध-अंग . (क) गंध-अंग उस समय में नेत्रबाला, प्रियंगु, तमालपत्र, ध्यामक और चातुर्जातिक-सज, इलायची, तेजपत्ता और नागकेसर-इन द्रव्यों को पीस कर एक चूर्ण बनाया जाता था। उसमें चमेली की भावना देने से वह गन्ध-द्रव्य करोड़ मूल्य का अर्थात् बहुमूल्यवान हो जाता था। चार तोला खशखश, चार तोला हाडबेर, एक तोला देवदारु, चार तोला सौंफ, चार तोला तमालपत्र-इन सबको पीस कर मिलाने से एक प्रकार का गन्ध-चूर्ण बनता था। यह चूर्ण वशीकरण के लिए प्रयुक्त होता था। जो व्यक्ति वशीकरण का प्रयोग करना चाहता था, वह इस चूर्ण को लगा स्नान करता और इसीका विलेपन करता था। १-भैषज्यरत्नावली, परिभाषा प्रकरण, श्लोक 19 : स्वगेलापत्रकेत्तुल्यैस्त्रिसुगन्धि नियातकम् / नागकेसरसंयुक्तं, चातुर्जातिकमूच्यते //
SR No.004302
Book TitleUttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1968
Total Pages544
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size8 MB
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