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________________ खंण्ड 2, प्रकरण : 4 व्यक्तिगत परिचय 386 मघव (18 / 36) श्रावस्ती नगरी के राजा समुद्रविजय को पटरानी भद्रा के गर्भ से इनका जन्म हुआ। ये तीसरे चक्रवर्ती हुए। सनत्कुमार (18 / 37) कुरु-जांगल जनपद में हस्तिनापुर नाम का नगर था। वहाँ कुरुवंश का राजा अश्वसेन राज्य करता था। उसकी भार्या का नाम सहदेवी था। उसने एक पुत्र को जन्म दिया। उसका नाम सनत्कुमार रखा / ये चौथे चक्रवर्ती हुए / शान्ति (18638) ये हस्तिनापुर के राजा विश्वसेन के पुत्र थे। इनकी माता का नाम अचिरा देवी था / ये पाँचवें चक्रवर्ती हुए और अन्त में अपना राज्य त्याग कर सोलहवें तीर्थङ्कर हुए। कुन्थु (18 / 36) ये हस्तिनापुर के राजा सूर के पुत्र थे। इनकी माता का नाम श्रीदेवी था। ये छठे चक्रवर्ती हुए और अन्त में राज्य त्याग कर सत्रहवें तीर्थङ्कर हुए। अर (1840) ये गजपुर नगर के राजा सुदर्शन के पुत्र थे। इनकी माता का नाम देवी था। ये सातवें चक्रवर्ती हुए और अन्त में राज्य छोड़ अठारहवें तीर्थङ्कर हुए। महापद्म (18 / 41) कुरु जनपद में हस्तिनापुर नाम का नगर था। वहाँ पद्मोत्तर नाम का राजा राज्य करता था। उसकी रानी का नाम 'जाला' था। उसके दो पुत्र हुए-विष्णुकुमार और महापद्म / महापद्म नोवें चक्रवर्ती हुए / हरिषेण (18 / 42) काम्पिल्यनगर के राजा महाहरिश की रानी का नाम मेरा था। उनके पुत्र का नाम हरिषेण था। वे दसवें चक्रवर्ती हुए। जय (18 / 33) . __ ये राजगृह नगर के राजा समुद्रविजय के पुत्र थे। इनकी माता का नाम 'वप्रका' था। ये ग्यारहवें चक्रवर्ती हुए / बशार्णभद्र (18 / 44) ये दशार्ण जनपद के राजा थे / ये भगवान महावीर के समकालीन थे / (पूरे विवरण के लिए देखिए-सुखबोधा, पत्र 250, 251) / करकण्ड 18 / 45) . देखिए 'प्रत्येक-बुद्ध'-प्रकरण दूसरा / १-'भरत' से लेकर 'जय' तक के तीर्थङ्करों तथा चक्रवर्तियों का अस्तित्वकाल प्राग-ऐतिहासिक है।
SR No.004302
Book TitleUttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1968
Total Pages544
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size8 MB
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