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________________ प्रकरण : तीसरा भौगोलिक परिचय उत्तराध्ययन सूत्र में अनेक देशों तथा नगरों का भिन्न-भिन्न स्थलों में निर्देश हुआ है / ढाई हजार वर्ष की इस लम्बी कालावधि में कई देशों और नगरों के नाम परिवर्तित हुए, कई मूलतः नष्ट हो गए और कई आज भी उसी नाम से प्रसिद्ध हैं। हमें उन सभी का अध्ययन प्राचीन प्रतिबिम्ब में करना है और वर्तमान में उनकी जो स्थिति है, उसे भी यथासाध्य प्रस्तुत करना है। जो नगर उस समय समृद्ध थे, वे आज खण्डहर मात्र रह गए हैं / पुराने नगर मिटते गए, नए उदय में आते गए। कई नगरों की बहुत छानबीन हुई है परन्तु आज भी ऐसे अनेक नगर हैं जिनकी छानबीन आवश्यक लगती है। आगम के व्याख्या-ग्रन्थों में तथा अन्यान्य जैन-रचनाओं में बहुत कुछ सामग्री विकीर्ण पड़ी है। आवश्यकता है कि उनमें भूगोल सम्बन्धी सारी सामग्नी एकत्र संकलित हो / उत्तराध्ययन में आये हुए देश व नगर (1) मिथिला (6 / 4) (12) गान्धार (18 / 45) (2) कम्बोज (11 / 16) (13) सौवीर (18 / 47) (3) हस्तिनापुर (13 / 1) (14) सुग्रीव नगर (1931) * (4) कम्पिल्ल (13 / 2 ; 18 / 1) (15) मगध (2011) (5) पुरिमताल (13 / 2) (16) कोशाम्बी (2018) (6) दशार्ण (13 / 6) (17) चम्पा (21 / 1) (7) काशी (13 / 6) (18) पिहुंड (21 / 3) ... (8) पाञ्चाल. (13 / 26 ; 18 / 45) (16) सोरियपुर (22 / 1) . (6) इषुकार नगर (14 / 1) (20) द्वारका (22 / 27) (10) कलिंग (18 / 45) (21) श्रावस्ती (23 // 3) (11) विदेह (18 / 45) (24) वाणारसी (25 / 13) विदेह और मिथिला विदेह राज्य की सीमा उत्तर में हिमालय, दक्षिण में गंगा, पश्चिम में गंडकी और पूर्व में मही नदी तक थी।
SR No.004302
Book TitleUttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1968
Total Pages544
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size8 MB
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