________________ उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन बौद्ध-कथानक के अनुसार प्रत्येक बुद्ध का नाम राष्ट्र नगर पिता का नाम वैराग्य 1. करण्डु (करकण्ड) कलिंग दन्तपुर . फल-विहीन आम्र-वृक्ष 2. दुमुख उत्तर-पांचाल कम्पिल वृषभ की कामुकता. 3. निमि विदेह मिथिला 0 मांस के टुकड़े के लिए पक्षियों की छिनाझपटी 4. नगजी गांधार तक्षशिला . एक बैंगन की नीरवता समीक्षा ___ उपर्युक्त वर्णन से यह ज्ञात हो जाता है कि चारों प्रत्येक-बुद्धों के नामों में और राष्ट्रों में प्रायः समानता है, किन्तु उनके वैराग्य के निमित्तों में व्यत्यय मालूम होता है। जैन-कथानक में वैराग्य का जो निमित्त नग्गति और नमि का है, वह बौद्ध-कथानक में करण्डु और नग्गजी का है। बौद्ध-कथानक में करकण्डु को दंतपुर का राजा बताया है। परन्तु जैन कथानक से यह स्पष्ट है कि करकण्डु की माँ चम्पा से निकल कर दंतपुर पहुंची। वहाँ दंतवक्र नाम का राजा राज्य करता था। वहाँ करकण्डु का जन्म हुआ। आगे चल कर वह कांचनपुर का राजा बना और बाद में चम्पा नगरी का भी राज्य उसे प्राप्त हो गया। कलिंग की राजधानी कांचनपुर थी। दूसरे प्रत्येक-बुद्ध का नाम, प्राकृत भाषा के अनुसार 'दुम्मुह' और पाली के अनुसार 'दुम्मुख' है। विदेह राज्य में दो 'नमि' हुए हैं। दोनों ने अपने अपने राज्य का त्याग कर दीक्षा ग्रहण की। एक तीर्थङ्कर हुए और दूसरे प्रत्येक-बुद्ध / ' उत्तराध्ययन के नौवें अध्ययन में प्रत्येक-बुद्ध नमि का वृत्तान्त है। ___ जैन-कथानक के अनुसार अवन्ती देश के राजा मणिरथ के छोटे भाई 'युगबाहु' थे। जब मणिरथ ने उनकी हत्या कर दी, तब उनकी पत्नी मदनरेखा उस राष्ट्र को छोड़ आगे निकल गई। जंगल में उसने पुत्र को जन्म दिया। उसके नवजात शिशु को मिथिला का नरेश पद्मरथ ले गया। उस बालक का नाम नमि रखा / कालान्तर में उसे विदेह राष्ट्र की राज्यसत्ता सौंप वह मुनि बन गया। इसी प्रकार कुछ काल बीता बाद नमि का बड़ा भाई, जो अवन्ती राष्ट्र का अधिपति था, भी अपने राष्ट्र की राज्यसत्ता नमि को सौंप प्रव्रजित हो गया। अब नमि विदेह और अवन्ती-दोनों राष्ट्रों का अधिपति बन गया। इससे यह स्पष्ट होता है कि पालित-पुत्र होने के कारण नमि पहले विदेह राष्ट्र का अधिपति बना और बाद में अवन्ती का। १-उत्तराध्ययन नियुक्ति, गाथा 267 /