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________________ ख 32, प्रकरण : 2 प्रत्येक-बुद्ध 356 द्विमुख इन्द्रध्वज को देख कर प्रतिबुद्ध हुआ। नमि एक चूड़ी की नीरवता को देख कर प्रतिबुद्ध हुआ। नग्गति मञ्जरी विहीन आम्र-वृक्ष को देख कर प्रतिबुद्ध हुआ / ' बौद्ध ग्रन्थों में भी इन चार प्रत्येक-बुद्धों का उल्लेख मिलता है / 2 किन्तु इनके जीवन-चरित्र तथा बोधि-प्राप्ति के निमित्तों के उल्लेख में भिन्नता है। बौद्ध-ग्रन्थों में दो प्रकार के बुद्ध बतलाए गए हैं (1) प्रत्येक-बुद्ध और (2) सम्मासम्बुद्ध / जो स्वयं ही बोधि प्राप्त करते हैं, किन्तु जगत् को उपदेश नहीं देते, वे प्रत्येक-बुद्ध कहे जाते हैं। इन्हें उच्च और पवित्र आत्म-दृष्टि पैदा होती है और ये जीवन भर अपनी उपलब्धि का कथन नहीं करते / इसीलिए इन्हें 'मौन-बुद्ध' भी कहा जाता है / ये दो हजार असंख्येय कल्प तक 'पारामी' की साधना करते हैं। ये ब्राह्मण, क्षत्रिय या गाथापति के कुल में उत्पन्न होते हैं। इन्हें समस्त ऋद्धि, सम्पत्ति और प्रतिसम्पदा उपलब्ध होती है। ये कभी बुद्ध से साक्षात् नहीं मिलते। ये एक साथ अनेक हो सकते हैं। बौद्ध टीकाओं में चार प्रकार के बुद्ध बतलाए हैं (1) सब्बस्नुबुद्ध ( सर्वज्ञ-बुद्ध ), (2) पच्चेकबुद्ध (प्रत्येक-बुद्ध ), (3) चतुसच्चबुद्ध ( चतु:सत्य-बुद्ध ) और (4) सुतबुद्ध (श्रुत-बुद्ध ) / इन चार प्रकार के बुद्धों का वर्णन विभिन्न बौद्ध-गन्थों में आया है / अब हम संक्षेप में जैन और बौद्ध ग्रन्थों के अनुसार उन चारों प्रत्येक-बुद्ध मुनियों का जीवन-वृत्त प्रस्तुत कर उन पर मीमांसा करेंगे / १-करकण्डु जैन-ग्रन्थ के अनुसार चम्पा नगरी में दधिवाहन नामका राजा राज्य करता था। उसकी रानी का नाम १-सुखबोधा, पत्र 133 : वसहे य इंदकेऊ, वलए अंबे य पुप्फिए बोही। करकंड्ड दुम्मुहस्सा, नमिस्स गंधाररन्नो य // २-कुम्मकार जातक (सं० 408 ) / ३-डिक्शनरी ऑफ पाली प्रॉपर नेम्स, भाग 2, पृ० 294 / ४-वही, पृ० 264 /
SR No.004302
Book TitleUttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1968
Total Pages544
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size8 MB
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