________________ प्रकरण : दूसरा प्रत्येक-बुद्ध मुनि के तीन प्रकार होते है (1) स्वयं-बुद्ध- जो स्वयं बोधि प्राप्त करते हैं / (2) प्रत्येक-बुद्ध- जो किसी एक निमित्त से बोधि प्राप्त करते हैं। (3) बुद्ध-बोधित- जो गुरु के उपदेश से बोधि प्राप्त करते हैं। प्रत्येक-बुद्ध एकाकी विहार करते हैं / वे गच्छवास में नहीं रहते / ' उत्तराध्ययन चार प्रत्येक-बुद्धों का उल्लेख मिलता है (1) करकण्डु- कलिंग का राजा, (2) द्विमुख- पंचाल का राजा, (3) नमि- विदेह का राजा और (4) नग्गति- गंधार का राजा इनका विस्तृत वर्णन टीका में प्राप्त है / ये चारों प्रत्येक-बुद्ध एक साथ, एक हो समय में देवलोक से च्युत हुए, एक साथ प्रवजित हुए, एक ही समय में बुद्ध हुए, एक ही समय में केवली बने और एक साथ सिद्ध हुए। ऋषिभाषित प्रकीर्णक में 45 प्रत्येक-बुद्धों का जीवन-वर्णन है / ऐसा उल्लेख मिलता है कि 20 प्रत्येक-बुद्ध भगवान् नमि के तीर्थ में, 15 भगवान् पार्श्वनाथ के तीर्थ में और 10 भगवान् महावीर के तीर्थ में हुए हैं / 5 किन्तु प्रत्येक-बुद्धों की इस नामावली में इन चार प्रत्येक-बुद्ध मुनियों का नाम नहीं है, यह कुछ आश्चर्य-सा लगता है। करकण्डु बूढ़े बैल को देख कर प्रतिबुद्ध हुआ। १-प्रवचनसारोद्धार, गाथा 525-528 / २-उत्तराध्ययन, 18145 / / ३-सुखबोधा, पत्र 133-145 / ४-उत्तराध्ययन नियुक्ति, गाथा 270 / ५-श्रीमद्भिः प्रत्येकबुद्धर्भाषितानि श्रीऋषिभाषित सूत्राणि, पृ० 42 (प्रकाशित, सन् 1925, रत्नपुत्र ऋषभदेव केशरीमल ) / पूरे विवरण के लिए देखिए-उत्तरज्झयणाणि (उत्तराध्ययन सानुवाद संस्करण) के नौवें अध्ययन का आमुख, पृ० 105-108 /