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________________ 311 खण्ड 2, प्रकरण : 1 कथानक संक्रमण पूर्व के दो भवों का वर्णन है। इसमें कुछ अन्तर भी है / जैन-कथानक के अनुसार उनके छः भव इस प्रकार हैं(१) दसपुर नगर में शांडिल्य ब्राह्मण की दासी यशोमती के गर्भ से पुत्र रूप में उत्पन्न / (2) कालिंजर पर्वत पर मृगी की कोख से युगल रूप में उत्पन्न / (3) मृतगंगा के तीर पर हंसी के गर्भ से उत्पन्न / (4) वाराणसी में श्वपाक के पुत्र चित्त-सम्भूत के रूप में उत्पन्न / (5) देवलोक में उत्पन्न / (6) चित्र का जीव पुरिमताल नगर में ईभ्य सेठ के यहाँ पुत्र रूप में और सम्भूत का जीव काम्पिल्यपुर में ब्रह्म राजा की रानी चुलनी के गर्भ में पुत्र रूप से उत्पन्न / बौद्ध-कथावस्तु का संक्षिप्त सार (1) नरेञ्जरा नदी के किनारे मृगी की कोख से उत्पन्न / (2) नर्मदा नदी के किनारे बाज रूप में उत्पन्न / (3) चित्र का जीव कोसाम्बी में पुरोहित का पुत्र और संभूत का जीव पाञ्चाल ___ राजा के पुत्र रूप में उत्पन्न / 2 जातक में दोनों भाई मिलते हैं। चित्र ने सम्भूत को उपदेश दिया / परन्तु सम्भूत का मन भोगों से विरक्त नहीं हुआ। उसके सिर पर धूल गिराते हुए चित्र हिमालय की ओर चला गया। राजा सम्भूत ने यह देखा तो उसके मन में वैराग्य पैदा हुआ और हिमालय की ओर चला गया। चित्र ने उसे योग-विधि सिखाई। उसने ध्यान-लाभ किया। इस प्रकार वे दोनों ब्रह्मलोक गामी हुए। * . १-उत्तराध्ययन, 13 // 5-7 : आसिमो मायरा दो वि, अन्नमन्नवसाणुगा। अन्नमन्नमणरत्ता, अन्नमन्नहिएसिणो॥ वासा दसण्णे आसी, मिया कालिंजरे नगे / हंसा मयंगतीरे, सोवागा कासिभूमिए / / देवाय देवलोगम्मि, आसि अम्हे महिडि ढ़या / इमा नो छट्ठिया जाई, अन्नमन्नेण जा विणा // २-जातक, संख्या 498, चतुर्थ खण्ड, पृ० 600 /
SR No.004302
Book TitleUttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1968
Total Pages544
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size8 MB
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