________________ खण्ड : 1, प्रकरण : 1 १-श्रमण और वैदिक परम्पराएं तथा उनका पौर्वापर्य 5 ऐतिहासिकता असंदिग्ध है। भगवान् पार्श्व चौबीस तीर्थङ्करों में से तेईसवें तीर्थङ्कर के रूप में प्रख्यात थे।"१ डॉ. विमलाचरण लॉ के अनुसार भगवान पार्श्व के धर्म का प्रचार भारत के उत्तरवर्ती क्षत्रियों में था। वैशाली उसका मुख्य केन्द्र था / 2 वृज्जिगण के प्रमुख महाराज चेटक भगवान् पार्श्व के अनुयायी थे। भगवान् महावीर के माता-पिता भी भगवान् पार्श्व के धर्म का पालन करते थे। कपिलवस्तु में भी पार्श्व का धर्म फैला हुआ था। वहाँ न्यग्रोधाराम में शाक्य निर्ग्रन्थ श्रावक 'वप्प' के साथ बुद्ध का संवाद हुआ था।" भगवान् महावीर से पूर्व जैन-धर्म के सिद्धांत स्थिर हो चुके थे। डॉ. चार्ल सरपेंटियर ने लिखा है-हमें इन दो बातों का भी स्मरण रखना चाहिए कि जैन-धर्म निश्चित रूपेण महावीर से प्राचीन है ; उनके प्रख्यात पूर्वगामी पार्श्व प्रायः निश्चित रूपेण एक वास्तविक व्यक्ति के रूप में विद्यमान रह चुके हैं एवं परिणाम स्वरूप मूल सिद्धांतों की मुख्य बातें महावीर से बहुत पहले सूत्र रूप धारण कर चुकी होंगी। ____ गौतम बुद्ध और वर्द्धमान महावीर से पूर्ववर्ती पुरुष के रूप में पार्श्व का उल्लेख करते हुए बताया गया है-"नातपुत्त ( श्री महावीर वर्द्धमान ) के पूर्वगामी उन्हीं की मान्यता 1. The Wonder That Was India ( A. L. Basham, B.A., Ph.D., F. R. A. S), Reprinted 1956, pp. 287-88. "As he (Vardhamana Mahavira) is referred to in the Buddhist scriptures as one of the Buddha's chief opponents, his historicity is beyond doubt. .........Parswa was remembered as the twenty-third of the twenty-four great tcachers Or :: Tirthankaras "ford-makers' of the Jaina faith." . 2. Kshatriya clans in Buddhist India, p. 82. ३-उपदेशमाला, श्लोक 92 : वेसालीए पुरीए सिरिपासजिणेससासणसणाहो। हेहयकुलसंमूओ चेडगनामानिवोअसि // ४-आचारांग, 2 / 3 / 401 / ५-अंगुत्तर निकाय, चतुष्कनिपात, महावर्ग वप्पसुत्त, भाग 2, पृ० 210-213 / 6. The Uttaradhyayana Sutra, Introduction p. 21 : "We ought also to remember both that the Jain religion is certainly older than Mahavira, his reputed predecessor Parsva having almost certainly existed as a real person, and that, consequently, the main points of the original doctrine may have been codified long before Mahavira."