________________ 282 उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन :. ... थलेसु बीयाइ ववन्ति कासगा तहेव निन्नेसु य आससाए। एयाए सखाए दलाह मझ आराहए पुग्णमिणं खु खेत्तं // 12 // 4 (पृ. 273 पर उद्धृत) खेत्ताणि अम्हं विइयाणि लोए जहिं पकिण्णा विरुहन्ति पुण्णा। जे माहणा जाइविज्जोववेया ताई तु खेत्ताइं सुपेसलाई // 13 // ___5 (पृ० 273 ,, ,) कोहो य माणो य वहो य जेसिं मोसं अदत्तं च परिग्गहं च / ते माहणा जाइविज्जाविहूणा ताई तु खेत्ताइं सुपावयाई // 14 // तुम्भेत्थ भो भारधरा गिराणं अटुं न जाणाह अहिज्ज वेए। उच्चावयाई मुणिणो चरन्ति ताई तु खेत्ताई सुपेसलाई // 15 // 6,7 (पृ० 273 ,, ,,) के एत्थ खत्ता उवजोइया वा अज्झावया वा सह खण्डिएहिं / एवं दण्डेण फलेण हन्ता कण्ठम्मि घेत्तूण खलेज्ज जो गं ? // 18 // अमावयाणं वयणं सुणेत्ता उद्धाइया तत्थ बहू कुमारा। दण्डेहि वित्तेहि कसेहि चेव समागया तं इसि तालयन्ति // 19 // 8 (पृ० 274 ,, ,) गिरिं नहेहिं खणह अयं दन्तेहिं खायह / जायतेयं पाएहि हणह जे भिक्खं अवमन्नह // 26 // 6 (पृ० 274 ,, ,) अवहेडिय पिटिसउत्तमंगे पसारियाबाहु अकम्मचेटे। निम्मेरियच्छे रुहिरं वमन्ते . उदमुहे निम्गयजीहनेत्ते // 29 // . 11 (पृ० 275 ,, ,) 8 2