________________ खण्ड 1, प्रकरण : 6 १-तत्त्वविद्या 231 ___ हरमन जेकोबी ने परमाणु सिद्धान्तों के विषय पर बड़ी सूक्ष्म दृष्टि से प्रकाश डाला है / उनका अभिमत है-"ब्राह्मगों की प्राचीनतम दार्शनिक मान्यताओं में, जो उपनिषदों में वर्णित हैं, हम अणु सिद्धान्त का उल्लेख तक नहीं पाते हैं और इसलिए वेदान्त सूत्र में, जो उपनिषदों की शिक्षाओं को व्यवस्थित रूप से बताने का दावा करते हैं, इसका खण्डन किया गया है। सांख्य और योग दर्शनों में भी इसे स्वीकार नहीं किया गया है, जो वेदों के समान ही प्राचीन होने का दावा करते हैं, क्योंकि वेदान्त सूत्र भी इन्हें स्मृति के नाम से पुकारते हैं। किन्तु अणु सिद्धान्त वैशेषिक दर्शन का अविभाज्य अंग हैं और न्याय ने भी इसे स्वीकार किया है। ये दोनों ब्राह्मण-परम्परा के दर्शन हैं जिनका प्रादुर्भाव साम्प्रदायिक विद्वानों (पण्डितों) द्वारा हुआ है, न कि देवी या धार्मिक व्यक्तियों द्वारा। वेद-विरोधी मतों, जैनों ने इसे ग्रहण किया है, और आजीविकों ने भी... / हम जैनों को प्रथम स्थान देते हैं क्योंकि उन्होंने पुद्गल के सम्बन्ध में अतीव प्राचीन मतों के आधार पर ही अपनी पद्धति को संस्थापित किया है।" जीव विभाग दार्शनिक विद्वानों ने जीवों के विभाग भिन्न-भिन्न दृष्टिकोणों से किए हैं। जैन दार्शनिकों ने उनके विभाग का आधार गति और ज्ञान को माना है / गति के आधार पर जीवों के दो विभाग होते हैं—(१) स्थावर और (2) त्रस / जिनमें गमन करने की क्षमता नहीं है, वे स्थावर हैं और जिनमें चलने की क्षमता है, वे त्रस हैं / स्थावर सृष्टि ___ स्थावर जीवों के तीन विभाग हैं-(१) पृथ्वी, (2) जल और (3) वनस्पति / 3 ये तीनों दो-दो प्रकार के होते हैं-(१) सूक्ष्म और (2) स्थूल / सूक्ष्म जीव समूचे लोक में व्याप्त होते हैं और स्कूल जीव लोक के कई भागों में प्राप्त होते हैं। . .' स्थल पृथ्वी . ..... . . स्थूल पृथ्वी के दो प्रकार हैं-(१) मृदु और (2) कठिन / 5 मृदु पृथ्वी के सात प्रकार हैं १-एन्साइक्लोपीडिया ऑफ रिलीजन एन्ड एथिक्स, भाग 2, पृ० 199,20.0 / २-उत्तराध्ययन, 36 / 68 / ३-वही, 36 / 69 / ४-वही, 3678,86,100 / ५--वही, 3671 /