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________________ 214 उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन - "उसी के कारण तू महान् अनुभाग (अचिन्त्य-शक्ति) सम्पन्न, महान् ऋद्धिमान् और पुण्यफलयुक्त राजा बना है। इसीलिए तू अशाश्वत भागों को छोड़ कर चारित्र की आराधना के लिए अभिनिष्क्रमण कर / "राजन् ! जो इस अशाश्वत जीवन में प्रचुर शुभ अनुष्ठान नहीं करता, वह मृत्यु के मुंह में जाने पर पश्चात्ताप करता है और धर्म की आराधना न होने के कारण परलोक में भी पश्चात्ताप करता है। ___"जिस प्रकार सिंह हरिण को पकड़ कर ले जाता है, उसी प्रकार अन्त काल में मृत्यु मनुष्य को ले जाती है। काल आने पर उसके माता-पिता या भाई अंशधर नहीं होते- अपने जीवन का भाग देकर बचा नहीं पाते। . "जाति, मित्र वर्ग, पुत्र और बान्धव उसका दु:ख नहीं बंटा सकते, वह स्वयं अकेला दुःख का अनुभव करता है / क्योंकि कर्म कत्ती के पीछे चलता है। . "यह पराधीन आत्मा द्विपद, चतुष्पद, खेत, घर, धन, धान्य, वस्त्र आदि सब कुछ छोड़ कर केवल अपने किए कर्मो को साथ लेकर परभव में जाता है। ___ "उस अकेले और असार शरीर को अग्नि से चिता में जला कर स्त्री, पुत्र और ज्ञाति किसी दूसरे दाता (जीविका देने वाले) के पीछे चले जाते हैं।" कृत-कर्मों का परिणाम भी व्यक्ति अकेला भुगतता है। इसी की पुष्टि में कहा गया___ "संसारी प्राणी अपने बन्धु-जनों के लिए जो साधारण कर्म (इसका फल मुझे भी मिले और उनको भी-ऐसा कर्म) करता है, उस कर्म के फल-भोग के समय वे बन्धुजन बन्धुता नहीं दिखाते-उसका भाग नहीं बंटाते।"२ जो सत्य की. एषणा करता है, उसे यह स्पष्ट ज्ञात हो जाता है-"जब मैं अपने द्वारा किए गए कर्मो से छेदा जाता हूँ तब माता-पिता, पुत्र, बन्धु, भाई, पत्नी और पुत्र-ये सभी मेरी रक्षा करने में समर्थ नहीं होते।"3 ___ समाज व्यक्ति के लिए त्राण होता है किन्तु वह व्यक्ति से अभिन्न नहीं होता इसलिए वह उसे अन्त तक त्राण नहीं दे सकता। धर्म व्यक्ति से अभिन्न होता है, इसलिए वह उसकी अन्तिम त्राण-शक्ति है। इसी संदर्भ में कमलावती ने महाराज इषुकार से कहा था १-उत्तराध्ययन, 13 / 20-25 / २-उत्तराध्ययन, 4 / 4 / ३-वही, 6 / 3 /
SR No.004302
Book TitleUttaradhyayan Ek Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1968
Total Pages544
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size8 MB
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