________________ उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन सिद्धगति, निर्वाण या मोक्ष प्राप्त होने का उल्लेख है।' कुछ श्रमण निर्वाण को नहीं मानते थे।२ __ इस प्रकार हम देखते है कि (1) दान, (2) स्नान, (3) कर्तृवाद, (4) आत्मा और परलोक, (5) स्वर्ग और नरक तथा (6) निर्वाण-ये सभी विषय श्रमण-परम्परा की एकसूत्रता के व्याप्त लक्षण नहीं हैं / इनमें से कुछ विषय श्रमण और वैदिक परम्पराओं में भी समान हैं। इसीलिए इन विषयों को श्रमण और वैदिक धारा की विभाजन-रेखा तथा श्रमणपरम्परा की एकसूत्रता की व्याप्ति के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता। १-उत्तराध्ययन, 1:48; 3 / 20; 10 // 37; 11 // 32; 12 // 47; 13 // 35; 14153; 16317; 18053; 21 / 24; 24 / 27; 25543; 26152, 30 // 37, 31121; 32 / 111; 35 / 21; 36 / 268 / २-दीघनिकाय, 112, पृ० 22 /