________________ 1. बहिरङ्ग परिचय : दशवकालिक और आचारांग-चूलिका 63 असण पाणगं वा वि, से जं पुण जाणिज्जा, असणं वा (4) आउखाइमं साइमं तहा। कायपइठ्ठियं चेव एव अगणिकायपइठ्ठियं उदगम्मि होज निक्खित्तं, लाभे संते णो पडिगाहेज्जा, 'केवली बूया'उत्तिगपगगेसु वा॥ "आयाणमेयं' अस्संजए भिक्खूपडियाए (5 / 1156) अगणिं ओसक्किय 2 णिसिक्किय 2 ओहतं भवे भत्तपाणं तु, रिय 2 आहटु, दलएज्जा। अह भिक्खूणं संजयाण अकप्पियं। पुवोवदिट्ठा जाव णो पडिगाहेज्जा / देंतियं पडियाइक्खे, (2 / 11777) न मे कप्पइ तारिसं / / (5 / 1 / 60) असणं पाणग वा वि, खाइमं साइमं तहा। तेउम्मि होज निक्खित्तं, तं च संघट्टिया दए / (5 / 1 / 61) तं भवे भत्तपाणं तु, संजयाण अकप्पियं / देंतियं पडियाइक्खे, न मे कप्पइ तारिसं / (5 / 1 / 62) (एवं) उस्सक्किया ओसक्किया, उज्जालिया पज्जालिया निव्वाविया। उस्सिचिया - निस्सिचिया, ओवत्तिया ओयारिया दए / (1 / 63) तहेवुच्चावयं पाणं, ... . 'तंजहा उस्सेइमं वा, संसेइमं वा, अदुवा वारधोयणं। चाउलोदगं वा, अण्णयरं वा तहप्पगारं संसेइमं चाउलोदगं, पाणगजायं, अहुणाधोयं, अणंबिलं, अवोक्कंतं, विवज्जए॥ अपरिणयं.. णो पडिगाहेज्जा। (5 / 1175) (2 / 17 / 81) अहुणाधोयं