________________ दशवैकालिक : एक समीक्षात्मक अध्ययन - दशवकालिक और आचरांग-चूलिका के तुलना-स्थल : शब्द और भाव-साम्य दशवकालिक आचारांग-चूलिका एगंतमवक्कमित्ता ...एगंतमवक्कमेत्ता तओ संजयामेव . अचित्तं पडिलेहिया। परिखावेज्जा। ... जयं परिटुवेज्जा, . (2 / 1 / 1 / 4) ........... / (5 / 1 / 81) छिवाडि, . तरुणियं व आमियं भज्जियं देंतियं न मे कप्पइ .'तरुणियं वा छिवाडि अणभिक्कंतभज्जियं पेहाए, अफासुयं अणेसणिज्जति मण्णमाणे लाभे संते णो पडिगाहेजा। : (2 / 1 / 1 / 5) पडियाइक्खे, तारिसं // (5 / 2 / 20) जं पुण जाणिज्जा, असणं वा (4) बहवे...... समणमाहणअतिहिकिवणवणीमए पगणिय पगणिय समुद्दिस्स पाणाई वा (4) जाव समारब्भ आसेवियं वा अफासुयं अणेसणिज्जति मण्णमाणे लाभे संते जाव णो पडिगाहिज्जा। (2 / 1 / 1 / 15) असणं पाणगं वा वि, खाइमं साइमं तहा। जं जाणेज्ज सुणेज्जा वा, दाणट्ठा पगडं इमं // पुण्णट्ठा , , // वणिमट्ठा , // समणट्ठा पगडं इमं // तं भवे भत्तपाणं तु, संजयाण अकप्पियं / दंतियं पडियाइक्खे, न मे कप्पइ तारिसं // (5 / 1 / 47,46,51,53,54)