________________ ह-परिभाषाएँ इस शीर्षक के अन्तर्गत मल आगम में प्रतिपादित परिभाषाओं को एकत्रित किया गया है / कई परिभाषाएँ स्पष्ट हैं और कई अस्पष्ट / वे अस्पष्ट परिभाषाएँ भी विषय की भावना को वहन करती हैं, अतः इन्हें छोड़ा नहीं जा सकता। दशवैकालिक में आई हुई परिभाषाएँ ये हैं : (1) अत्यागी वत्थगन्धमलंकारं इत्थीओ सयणाणि य। अच्छन्दा जे न भंजन्ति न से चाइ ति बुच्चइ // 212 (2) त्यागी जे य कन्ते पिए भोए लद्धे विपिढिकुम्वई / साहीणे चयइ भोए से हु चाइ त्ति वुच्चइ // 2 // 3 (3) त्रस जेसिं केसिंचि पाणाणं अभिक्कतं पडिक्कतं संकुचियं पसारियं रुयं भंतं तसियं पलाइयं आगइगइविनाया। 4 सू०९ (4) समुदान . समुयाणं चरे भिक्खू कुलं उच्चावयं सया। नीयं कुलमइक्कम्म ऊसढं नाभिधारए // 5 // 2 / 25 (5) अहिंसा ___अहिंसा निउणं दिवा सव्वभूएसु संजमो // 68 (6) गृही जे सिया सन्निहीकामे गिही पव्वइए न से // 6 // 18 (7) परिग्रह . मुच्छा परिग्गहो वुत्तो / 6 / 20 (8) संसार और मोक्ष . अगुसोओ संसारो पडिसोओ तस्स उत्तारो // चूलिका 213 () विहारचर्या अणिएयवासो समुयाणचरिया अन्नायउंछं पइरिक्कया य / अप्पोवही कलहविवज्जणा य विहारचरिया इसिणं पसत्था // चूलिका 2 / 5 (१०)प्रतिबुद्धजीवी जस्से रिसा जोग जिइंदियस्स धिइमओ सप्पुरिसस्स निच्चं / ___तमाहु लोए पडिबुद्धजीवी सो जीवइ संजमजीविएणं ॥चूलिका 2015