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________________ 1. बहिरङ्ग परिचय : छन्द-विमर्श इस सूत्र के दस अध्ययन तथा दोनों चूलिकाओं के सम्मिलित श्लोक 514 हैं / प्रत्येक श्लोक के चार-चार चरण हैं। चरणों की कुल संख्या 2056 हैं। इनमें अधिकांश चरण (लगभग 80 प्रतिशत) अनुष्टुप् छन्द के हैं और शेष अन्यान्य छन्दों के। अनुष्टुप् छन्दों के निबद्ध चरणों में भी एकरूपता नहीं है। कहीं अक्षरों की अधिकता है और कहीं न्यूनता / __ कई चरणों में एक अक्षर अधिक है, जैसे—१।२।२, 1 / 4 / 2, 4 / 26 / 1 / कई चरणों में दो अक्षर अधिक हैं, जैसे-६।२७।३, 8 / 5 / 1, 8 / 14 / 1 / कई चरणों में तीन अक्षर कम है, जैसे-८।२।१ आदि-आदि। कई चरणों में एक अक्षर कम है, जैसे३।४।१, 8 / 31 / 1 / कई चरणों में दो अक्षर कम है, जैसे-५।१।१२।१ / अनुष्टुप् छन्द के अतिरिक्त इस सूत्र में जाति, त्रिष्टुप् , जगती, वैतालिक, मधुमति, कामदा आदि छन्दों का प्रयोग भी हुआ है। १-विशेष विवरण के लिए देखो : * The Dasavaikalika Sutra : A Study, pp. 20-27 and pp. 101-106
SR No.004301
Book TitleDashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1967
Total Pages294
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size16 MB
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