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________________ 1. बहिरङ्ग परिचय : व्याकरण-विमर्श द्वितीया का बहुवचन है ( गृहाण साधुगुणान ) पर इसकी विभक्ति का निर्देश नहीं है। आचार्य मलय गिरि ने इस प्रकार के विभक्ति-लोप को 'आर्ष' कहा है। .... देशी शब्दों के प्रयोग भी यत्र-तत्र हुए हैं। हमने उनकी संस्कृत छाया नहीं की है। कहीं-कहीं टिप्पणियों में तदर्थक संस्कृत शब्द का उल्लेख किया है। ... जिस प्रकार वैदिक प्रयोग लौकिक संस्कृत से भिन्न रहे हैं, उसी प्रकार आगमिक प्रयोग भी लौकिक प्राकृत से भिन्न रहे हैं। उन्हें सामयिक प्रयोग कहा जा सकता है / मलयगिरि के अनुसार जो शब्द अन्वर्थ-रहित और केवल समय ( आगम ) में ही प्रसिद्ध हो, वह सामयिक कहलाता हैं / 2 प्रस्तुत आगम में 'पिण्ड' और 'परिहरन्ति' 4 आदि सामयिक शब्दों का प्रयोग हुआ है, जिनका यथास्थान उल्लेख किया गया है। सामयिक नाम का आधार सम्भवतः स्थानांग का सामयिक व्यवसाय है। वहाँ व्यवसाय के तीन प्रकार किए हैं—लौकिक, वैदिक और सामयिक / 5 व्याकरण की दृष्टि से मीमांसनीय शब्दों को हमने ग्यारह भागों में विभक्त किया है—संधि, कारक, वचन, समास, प्रत्यय, लिंग, क्रिया और अर्द्ध-क्रिया, क्रिया-विशेषण, आर्ष-प्रयोग, विशेष विमर्श तथा क्रम-भेद / उनका क्रमशः विवरण इस प्रकार है : १-सन्धि एमए (13) .. ___इसमें ‘एवं' और 'एते'—ये दो शब्द हैं / अगस्त्य चूर्णि के अनुसार श्लोक-रचना की दृष्टि से 'एव' के 'व' का लोप हुआ है। प्राकृत व्याकरण के अनुसार 'एवमेव' रूप ‘एमेव बनता है। संभव है 'एमेव' ही आगे चल कर 'एमए' बन गया हो। ... १-पिण्ड नियुक्ति, गाथा 1 वृत्ति : इंगालधमकारण-सूत्रे च विभक्तिलोप आर्षत्वात् / २-वही, गाथा 6 वृत्ति : गोण्णं समयकयंवा—तथा समयजं यदन्वर्थरहितं समय एव प्रसिद्धं यथौदनस्य प्राभृतिकेति। ३-दशवकालिक, भाग 2 ( मूल, सार्थ, सटिप्पण ) पाँचवें अध्ययन का आमुख, ___193,195-196 / . ४-दशवकालिक 6 / 19 / / ५-स्थानांग, 3 // 3 // 185 : ___तिविहे ववसाए पन्नत्ते तंजहा–लोइए वेइए सामइए / ६-अगस्त्य चूर्णि : वकार लोपो सिलोगपायाणुलोमेणं / ७-हेमशब्दानुशासन, 8 / 1 / 271 : . यावत्तावज्जीवितावर्तमानावटप्रावारक-देवकुलैवमेवेवः / ..
SR No.004301
Book TitleDashvaikalik Ek Samikshatmak Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Shwetambar Terapanthi Mahasabha
Publication Year1967
Total Pages294
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size16 MB
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