________________ 206 . दर्शवेकालिक : एक समीक्षात्मक अध्ययन आदि देशों में कुण्डे का आकार वाला भाजन अथवा हाथी के पैर के आकार वाला पात्र 'कुण्डमोद' कहलाता था। ___ सुरक्षा के लिए भोजन के या अन्यान्य पात्र, जलकुंभ, चक्की, पीढ, शिला-पुत्र आदि से ढांके जाते थे। तथा बहुत काल तक रखी जाने वाली वस्तुओं के पात्र मिट्टी से लीपे जाते थे और श्लेष द्रव्यों से मूंदे जाते थे। सामान्यतः बिछौना ढाई हाथ लम्बा और एक हाथ चार अंगुल चौड़ा होता था। अनेक प्रकार के आसन, पर्यक आदि शयन और रथ आदि वाहन काठ से बनाए जाते थे। उसके लिए भिन्न-भिन्न प्रकार का काठ काम में लाया जाता था / लोहे का प्रयोग कम होता था।" ___ रथ सवारी का वाहन था और शकट प्रायः भार ढोने के काम आता था। रथ आदि वाहन तिनिस वृक्ष से बनाए जाते थे। भोजन : 'मिष्टान्न में रसालु को सर्वश्रेष्ठ माना जाता था। दो पल घृत, एक पल मधु, एक आढक दही और बीस मिर्च तथा उन सबसे दुगुनी खाण्ड या गुड़ मिला कर रसालु बनाया जाता था। ... भोजन के काम में आने वाली निम्न वस्तुओं का संग्रह किया जाता था-नमक, तेल, घी, फाणित-राब / १-अगस्त्य चूर्णि। २-जिनदास चूर्णि, पृ० 227 : हत्थपदागितीसंठियं कुंडमोयं / ३-दशवकालिक, 5 // 1 // 45 // ४-जिनदास चूर्णि, पृ० 319 : ___ संथारया अड्ढाइजा हत्था दीहत्तणेण, वित्यारो, पुण हत्थं सचउरंगुलं / ५-दशवकालिक, 7 / 29 / / ६-हारिभद्रीय टीका, पत्र 239 / ७-जिनदास चूर्णि, पृष्ठ 289-290 : वो घयपला मधु पलं दहियस्स य आढयं मिरीय वीसा। खंडगुला दो भागा एस रसालू निवइजोगो॥ -दशवैकालिक, 6 / 17 / /