________________ 5. व्याख्या-ग्रन्थों के सन्दर्भ में : निरुक्त तिण ताती : जम्हा य संसारसमुद्दे तरंति तरिस्संति वा तम्हा तिण्णो ताती।' नेय : जम्हा अण्णेवि भविए सिद्धिमह.पट्टणं अविग्धप हेग नयइ तम्हा नेया / मुणि : सावज्जेसु मोणं सेवतिति मुणी।३ खंतो: खमतीति खंतो।४ दंतो: इंदियकसाए दमतीति दंतो। विरतो : पाणवधादीहिं आसवदारेहिं न वठ्ठइत्ति विरतो / / लूही : अतपतेहिं लूहेहि जीवेइत्ति लूही अथवा कोहमाणा दो णेहो भण्णइ, तेसु रहितेसु लूहे। तोरट्ठी : संसारसागरस्स तीरं अत्थयतित्ति वा मग्गइत्ति वा एगट्ठा तीरट्टी। तायिणो : तायंतीति तायिणो।' महत्वयं : महंतं वतं महव्वयं / 10 सिला : सिला नाम विच्छिग्णो जो पाहाणो स सिला / 11 सत्थ : सासिज्जइ जेण तं सत्यं / 12 .: १-जिनदास चूर्णि, पृ० 74 / ७-वही, पृ० 74 / . २-वही, पृ० 74 / ८-वही, पृ० 74 / ३.-वही, पृ० 74 / ९-वही, पृ० 177 / - ४-बही, पृ० 74 / १०-वही, पृ० 144 / ५-वही, पृ० 74 / ११-वही, पृ० 154 / ६-ही, पृ० 74 / १२-वही, पृ० 224 /