________________ 164 दशवैकालिक : एक समीक्षात्मक अध्ययन भ्रमर: भ्राम्यति च रौति च श्रमरः / / विहंगम : विहेगच्छन्तीति विहंगमा। पव्वइय: पव्वइयो णाम पापाद्विरतो प्रवजितः / / अणगार: अणगारा नाम अगारं-गृहं तद् यस्य नास्ति सः अनगारः / 4. पासंडी : ___ अट्टविहाओ कम्मपासओ डीणो पासंडी।५ चरग : तवं चरतीति चरगो / तावसो : तवे ठिओ तावसो।' भिक्खू : भिक्खणसीलो भिक्खू / परिव्वायओ : सव्वसो पावं परिवज्जयंतो परिव्वायओ भण्णइ / . निग्गंथो : बाहिरभंतरेहिं गंथेहिं निग्गओ निगंथो / 10 . संयतो : ___ सव्वप्पगारेण अहिंसाइएहिं जतो संजतो / 11 मुत्त : मुत्तो बाहिरभंतरगंथेहिं / / 2 १-जिनदास चूर्णि, पृ० 62 / ७-वही, पृ० 73 / २-वही, पृ० 66 / ८-वही, पृ० 73 / ३-वही, पृ० 73 / ९-वही, पृ० 74 / ४-वही, पृ० 73 / १०-वही, पृ०७४ ! ५-वही, पृ० 73 / ११-वही, पृ० 74 / ६-वही, पृ० 73 / १२-वही, पृ० 74 /