________________ १३-मोक्ष का क्रम जेन साधना-पद्धति जीव-विज्ञान से प्रारम्भ होती है और आत्म स्वरूप-प्राप्ति में पर्यवसित हो जाती है। साधना का आधार संयम है। वह जीव और अजीव के विवेक ज्ञान पर आधारित है। जो जीव-अजीव को जानता है, वह संयम को जानता है और जो इन्हें नहीं जानता, वह संयम को भी नहीं जानता। इसमें इसी क्रम से मोक्ष तक के मार्ग को स्पष्ट किया है, वह यों है :' १-जीव और अजीव का ज्ञान / २-जीवों की गति का ज्ञान / 3- बन्धन और मुक्ति का ज्ञान / ४-भोग-विरति / ५-आभ्यन्तर और बाह्य-संयोगों का परित्याग। ६–अनगार-वृत्ति का स्वीकरण। ७-संवर की साधना। ८-आत्म-गुणावरोधक कर्मों का निर्मूलन / E-केवलज्ञान और केवलदर्शन की संप्राप्ति / . १०-योग-निरोध-शैलेशी अवस्था की प्राप्ति / ११–सम्पूर्ण कर्म-क्षय। १२-शाश्वत सिद्ध-अवस्था की प्राप्ति।' WU प्राप्त। . १-दशवकालिक, 4 / 12-25 /