________________ ११-भिक्षु कौन ? भिक्षु कौन ? यह प्रश्न वैदिक, बौद्ध और जैन —तीनों संस्कृतियों में अपनी-अपनी परम्परा और दृष्टिकोण से चर्चित है। दशवकालिक में इसका उत्तर देते हुए कहा हैभिक्षु वह होता है : जो वमन किए हुए भोगों को पुन: नहीं पीता-स्वीकार नहीं करता। जो स्थावर या त्रस-किसी प्राणी की हिंसा नहीं करता। जो सभी प्राणियों को आत्म-तुल्य समझता है / जो अकिंचन, जितेन्द्रिय और आत्म-लीन होता है। जो अर्हत्-वचन में विश्वास करता है। जो सम्यग-दृष्टि होता है। जो अमूढ़ होता है। जो खान-पान का संग्रह नहीं करता। जो संविभागी होता है। जो सदा शान्त और प्रसन्न रहता है। जो दूसरों का तिरस्कार नहीं करता। जो सुख-दुःख में सम रहता है। जो शरीर का परिकर्म नहीं करता। जो सहिष्णु, अनिदान और अभय होता है। जो अध्यात्म में रत और समाधि-यक्त होता है। जो किसी भी वस्तु में ममत्व नहीं करता। जो समस्त आसक्तियों से रहित होता है। जो ऋद्धि, सत्कार और पूजा का अर्थी नहीं होता। जो जाति, रूप, श्रुत और ऐश्वर्य का मद नहीं करता। जो ध्यान और स्वाध्याय में लीन होता है।' १--अ०१०।