________________ ५-एषणा भिक्षा की एषणा क्यों और कैसे ? ___ मुनि माधुकरी वृत्ति से दान-भक्त की एषणा करे। यह भोजन किसलिए किया है, किसने किया है—यह पूछ कर ग्रहण करे / 2 यदि पर्याप्त भोजन उपलब्ध न हो या प्राप्त हुए भोजन से भूख न मिटे तो और भोजन की गवेषणा करे। मुनि समय पर भिक्षा के लिए निकले और समय पर लौट आए।४ भिक्षा के लिए मुनि पुरुषकार करे।५ उञ्छ की एषणा करे।६ भिक्षा का निषेध करने पर बिना कुछ कहे लौट आए। भिक्षा के लिए घर में प्रविष्ट मुनि गृहपति के द्वारा अननुज्ञात या वर्जित भूमि ( अति-भूमि ) में न जाए। जहाँ तक जाने में गृहस्थ को अप्रीति न हो, जहाँ तक अन्य भिक्षाचर जाते हों उस ( कुल-भूमि ) में खड़ा रहे / भिक्षा के लिए गया हुआ मुनि कहीं न बैठे, खड़ा रह कर भी कथा का प्रबन्ध न करे / भक्त-पान के लिए घर में जाते हुए श्रमण, ब्राह्मण, कृपण या वनीपक को लाँघ कर गृहस्थ के घर में भिक्षा के लिए प्रवेश न करे / 10 इनके चले जाने पर घर में प्रवेश करे।११ राजा, गृहपति और आरक्षिकों के मंत्रणा-स्थान के पास न जाए / 12 निषिद्ध, मामक और अप्रीतिकर कुल में १-दशवकालिक, 112,3 / २-वही, 5 // 1 // 56 / ३-वही, 5 / 2 / 2,3 / ४-वही, 5 // 2 // 4,6 / ५-वही, 526 / ६-वही, 8 / 23 / ७-वही, 5 / 1 / 23 / ८-वही, 5 // 1 // 24 // ९-वही, 5 / 2 / / १०-वही, 5 / 2 / 10,12 / ११-वही, 5 / 2 / 13 / १२-वही, 5 // 1 // 16 / /