________________ 48 मौलिक छे भने संभवतः आ० सिद्धसेने प्रथम ज आलेख्युं छे / वादनी केटलीक युक्तिमो तेमना व्यावहारिक दृष्टिबिंदुने बतावे छे / वादमा राखवो पडती सावचेतो अने विशिष्ट वर्तणूक तेमना जीवनभरना अनुभवोनो निचोड छे / जेम मल्लविद्यामां तेम वादमां तेना सिद्धांतो दर्शावधान अनुभव विना शक्य नथी / बीजा उल्लेखो परथी लागे छे के आ० सिद्धसेन समर्थ वादी , हशे अने अनेक प्रतिवादो ओना मद एमणे हर्या इशे त्यारे तो एमना अवसावनी नोंध आ रोते लेवाई छे-- "स्फुरन्ति वादो खद्योताः साम्प्रतं दक्षिणापथे / नूनमस्तंगतो भाति सिद्धसेनो दिवाकरः // " तेमना देहविलय पछी ज बोजा वादीओ चमकवा लाग्या / एम पण नोंघवामां आव्युं छे के आ० सिद्धसेन युवावयमां एक हाथमां कोदाली, बीजा हाथमां जाळ, स्वमे सीडी ने सूकुं घास अने पेट पर कमरपटो राखता / प्रतिवादीओ माटे आमां अतिशयोक्ति हशे पण ते आ० सिद्धसे नना वादो तरीकेना सामर्थ्य ने व्यंजित करे छ / आ०सिद्धसेन खरेखरा अर्थमां दिवाकर हता / आ अर्थ उपरांत आ• सिद्धसेननो जैन शासनमा अपूर्व श्रद्धा हती / आ श्रद्धा तात्त्विक मूलवाली हती ते दर्शावे छे के जिनने स्तुति द्वारा प्रसन्न करो शकता नथी पण सत्पुरुषो माटे ए ज हितकारी उपाय छे / 185 सर्वोदय नगर ) शाहपुर दरवाजा बहार -पिनाकिन् दवे अमदावाद-१