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________________ सम्प्रदाय-निरपेक्ष कृष्ण-भक्त-कवि : भक्तिकाल में विभिन्न सम्प्रदायों से जुड़े भक्त कवियों के अलावा कई सम्प्रदायनिरपेक्ष कृष्णभक्त कवि हुए हैं। इन कवियों का महत्त्व भी अपने आप में अनूठा है। . इनमें मीराँ, रसखान आदि कवि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। मीराँ : कृष्ण को आराध्य मानकर काव्य रचने वाले भक्त कवियों में मरुधर-मन्दाकिनी मीराँ का स्थान सर्वोच्च है। मीराँ राव दूदाजी की पौत्री एवं राव रत्नसिंह की पुत्री थी। इनका जन्म मेड़ता के समीप "कुड़की" गाँव में हुआ था। बचपन में.ही इनके मातापिता का देहावसान हो गया था। इस पर राव दूदाजी ने मेड़ता में बड़े लाड़ के साथ इनका लालन-पालन किया। बड़ी होने पर मीराँ का विवाह उदयपुर के महाराणा-कुमार भोजराज के साथ हुआ। सात वर्ष पश्चात् इनका भी देहान्त हो गया। इससे मीराँ, जिसे बचपन से ही भक्ति का रंग चढ़ा था, विरक्त हो गई। मीराँ के देवर विक्रमादित्य ने मीराँ को अनेक यातनाएँ दी, इससे मीराँ मेवाड़ को छोड़कर मेड़ता रही। तदुपरान्त तीर्थस्थानों का पर्यटन करती हुई वृन्दावन पहुँची। वहाँ से वह द्वारिका आई एवं जीवन के अंतिम काल सं० 1603 तक श्री रणछोड़जी की भक्ति में लीन रही।९ ऐसी जनश्रुति है कि मीराँ ने गृहत्याग से पूर्व निम्न पद लिखकर गोस्वामी तुलसीदास से सम्मति मांगी थी : स्वस्ति श्रीतुलसी कुल भूषण, दूषण हरण गोसाई। बारहि बार प्रणाम करहुँ, अब हरहु सोक समुदाई॥ इस पर तुलसी ने उक्त पद का उत्तर विनयपत्रिका के निम्न पद को लिखकर भेजा था : जाके प्रिय न राम वैदेही। तजिये तोहि कोटि वैरी सम यद्यपि परम स्नेही। मीराँ द्वारा रचित चार ग्रन्थ माने जाते हैं (1) नरसिंह का मायरा (2) गीत गोविन्द टीका (3) राग गोविन्द (4) राग सोरठ के पद।०० मीराँ के पदों का संकलन "मीराँबाई की पदावली" नामक ग्रन्थ में हुआ है। मीराँ भी भक्ति माधुर्य-भाव से ओत-प्रोत थी। वह श्री कृष्ण को अपने पति के रूप में मानती थी। वह श्री कृष्ण के रूप माधुर्य की दीवानी थी। बसो मेरे नैनन में नन्दलाल। मोहनी मूरति साँवली सूरती नैना बेन बिसाल। मीरों ने रैदास को अपना गुरु स्वीकार किया था। इनके पद कहीं राजस्थानी मिश्रित भाषा
SR No.004299
Book TitleJinsenacharya krut Harivansh Puran aur Sursagar me Shreekrishna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayram Vaishnav
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2003
Total Pages412
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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