________________ उत्तर भारत से आने वाले लोगों के देवता महाभारत और गीता के वासुदेव कृष्ण का जिसमें गोपाल कृष्ण का अंश नहीं था, तमिल प्रदेश के मायोन बालदेवता के साथ एकीकरण हो गया। इस तरह इस मायोन देवता की बाललीला सम्बन्धी कथाएँ महाभारत के कृष्ण के साथ जुड़ गईं। ___ उत्तर भारत व दक्षिण भारत दोनों संस्कृतियों के समन्वय के बाद वर्तमान कृष्ण के इस रूप की प्रस्थापना हो गई। ऐसा प्रतीत होता है कि वर्तमान कृष्ण के जीवन का. उत्तरार्द्ध महाभारत का है जबकि पूर्वार्द्ध तमिल देवता मायोन का। तमिल से ईसा के पश्चात् "कन्नन" शब्द मिलता है जो "कृष्ण" का ही अपभ्रंश है। कृष्ण का रंग श्याम है तथा तमिल का मायोन शब्द भी काले या नीले रंग का द्योतक है। आर्य गौरवर्ण वाले हैं तथा तमिलों को काला रंग वाला कहा जाता है। अतः तमिल के देवता मायोन के रंग को कृष्ण द्वारा अपनाना भी कृष्ण मायोन के एकीकरण को पुष्ट करता है। इस प्रकार डॉ० मलिक मोहम्मद ने आभीर जाति को विशुद्ध भारतीय स्वीकार करते हुए श्री कृष्ण की बाल-कथाओं का सम्बन्ध आयर जाति के मायोन से सम्बन्धित माना है। श्रीमद् भागवत में भी वर्णित भक्ति का दक्षिण से उत्तर की ओर आगमन का संकेत है। भागवत माहात्म्य में लिखा है कि भक्ति द्रविड़ देश से उत्पन्न होकर, कर्नाटक में बड़ी हुई तथा वृन्दावन में पनपी। भक्ति द्राविड़ उपजी लाये रामानन्द , . वैष्णव धर्म के आचार्य भी दक्षिण के थे। कृष्ण का सांवला रंग मूलतः दक्षिण की ओर संकेत करता है। निष्कर्ष के तौर पर आज जो कृष्ण का स्वरूप हमारे समक्ष है, वह महाभारत के कृष्ण व तमिल प्रदेश के बाल देवता मायोन से अवश्य समन्वित है। संस्कृत साहित्य में श्री कृष्ण : वैदिक और पौराणिक साहित्य के पश्चात् श्री कृष्ण चरित्र का वर्णन संस्कृत वाङ्मय में भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है। संस्कृत के मूर्धन्य कवि कालिदास ने "मेघदूत" में गोपाल कृष्ण को निरूपित किया है। पाणिनि तथा पंतजलि ने भी श्री कृष्ण के सम्बन्ध में अपने काव्यों में लिखा है। प्रसिद्ध कवि और नाटककार "भास" ने भी महाभारत की कथा के आधार पर श्री कृष्ण का वर्णन "दूतकाव्य" तथा "बालचरित" नाटकों में उल्लेखित किया है। "बाल-चरित" नाटक में श्री कृष्ण वीरपुरुष के रूप में चित्रित हुए हैं, वे कंस का वध करते हैं। अश्वघोष ने भी कृष्ण की मधुर लीलाओं का स्पष्ट उल्लेख किया है। इससे ज्ञात होता है कि कृष्ण-लीला लोकगीतों और जनश्रुतियों के आधार पर पल्लवित होने लगी। प्रथम शताब्दी के सातवाहन राजा "हाल" ने कृष्ण-लीला की गाथाओं का संकलन