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________________ प्रद्युम्न चरित्र - सात ताल जो बाणनि हणई सो नारायण नारद भणई। - आजी ताहि वन मूंदडी, सोहइ रतन पदारथ जड़ी। कोमल हाथ करह चकचूर, सो नारायण गुण परिपुरु॥ (2) बलभद्र चौपाई : यह राजस्थानी प्रभावित हिन्दी भाषा की रचना है। इसके रचयिता कवि यशोधर है। इस कृति को कवि ने सन् 1528 (वि०सं० 1585) में पूर्ण किया था। इस सम्बन्ध में कवि ने स्वयं कहा है कि . संवत पच्चासीर स्कन्ध नगर मझारि। . भवणि अजित जिनवरतणी ए गुणगाया सारि॥ . . इसमें श्री कृष्ण के बड़े भाई बलदेवजी का चरित्र वर्णित है। इसके कथानक में भी हरिवंशपुराण का प्रभाव स्पष्ट दिखाई देता है। कवि ने द्वारिका-विनाश, कृष्ण का परमधामगमन, बलदेव का वेदनायुक्त विरह एवं उनका तप इत्यादि का जो वर्णन किया है वह हरिवंशपुराण पर आधारित है। भगवान् नेमिनाथ की द्वारिका-विनाश के सम्बन्धित भविष्यवाणी का एक प्रसंग तुलनात्मक दृष्टि से देखियेहरिवंशपुराण : पुरीयं द्वादशे वर्षे राम मद्येन हेतुना। द्वैपायनकुमारेण मुनिना धक्ष्यते रुषा॥ कोशाम्बवनसुप्तस्य कृष्णस्य परमायुषः। प्रान्ते जरत्कुमारोऽपि संहारे हेतुतां व्रजेत्॥ . बलभद्र चौपाई : द्वीपायन मुनिवर जेसार ते करसि नगरी संधार। मद्य भांड जे नासि कही तेह थकी जलसि सही। पौरलौक सवि जलसि जिसि वे बान्धव नील ससु तिसी। तह्य सहोदर जराकुमार तेहनि हाथि मारि मोरार॥ (3) हरिवंशपुराण : यह कृति पूर्णतया जिनसेनाचार्यकृत हरिवंशपुराण पर आधारित है। इस ग्रन्थ के रचयिता "शालिवाहन" हैं। इसकी रचना संवत् 1693 में हुई थी। यह राजस्थानी मिश्रित ब्रजभाषा में निरूपित काव्य ग्रन्थ है। इसके रचयिता ने स्वयं हरिवंशपुराण (जिनसेनाचार्य) का आधार ग्रहण करने का तथ्य स्वीकार करते हुए कृति के प्रत्येक संधि के अन्त में
SR No.004299
Book TitleJinsenacharya krut Harivansh Puran aur Sursagar me Shreekrishna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayram Vaishnav
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2003
Total Pages412
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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