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________________ जैन साहित्य में कृष्ण कथा एवं हरिवंशपुराण धर्म-प्रचार में लोक प्रचलित कथाओं, आख्यानों, जनश्रुतियों का उपयोग प्रायः किया जाता रहा है। इसी प्रकार लोक विश्रुत महापुरुषों के जीवन संदर्भ का उल्लेख भी इस दृष्टि से महत्तवपूर्ण रहा है। श्री कृष्ण के जीवन संदर्भ को जैन परम्परागत साहित्य में ग्रहण भी इस क्रम में हुआ है। कृष्ण कथा का जो स्वरूप तीर्थंकर महावीर के समय में प्रचलित रहा होगा, उसका उन्होंने अपने धर्म प्रचार में उपयोग किया होगा। अतः आगमिक कृतियों में कृष्ण कथा के जो संदर्भ उपलब्ध हैं, बहुत संभव है कि वे ई०पू० छठी सदी में अर्थात् तीर्थंकर महावीर के समय में इस रूप में प्रचलित रहे हों। तदुपरान्त स्वाभाविक है कि महावीर स्वामी के एक हजार वर्ष पश्चात् सम्पादित एवं संकलित कृतियों में श्री कृष्ण के जीवन-चरित्र सम्बन्धित प्रसंगों में परिवर्धन हो गया होगा। इसी आधार पर आगमिक कृतियों में श्री कृष्ण चरित के प्रसंग उपलब्ध होते हैं परन्तु ये प्रसंग क्रमबद्ध रूप से उपलब्ध न होकर यथासंदर्भ वर्णित हैं। इन कृतियों में ज्ञाताधर्म कथा, अन्तकृद्दशा, प्रश्न व्याकरण, उत्तराध्ययन तथा निरयावलिका मुख्य हैं / इन सब ग्रन्थों में वर्णित प्रसंगों के आधार पर श्री कृष्ण के चरित के अधोलिखित तथ्यों की जानकारी मिलती है। डॉ० महावीर कोटिया के अनुसार :1. सोरियपुर नगर के वसुदेव नाम के राजा थे। उनकी दो पत्नियाँ रोहिणी एवं देवकी थी। इनसे उनके बलराम तथा कृष्ण दो पुत्र हुए। 2. वसुदेवादि दस भाई एवं दो बहिनें थी। इसके भाइयों में समुद्रविजय, अक्षोभ, स्तमित, सागर, हिमवान, अचल, धरण, पूरण, अभिचन्द तथा वसुदेव थे तथा बहिनों में कुन्ती एवं माद्री थी। 3. कृष्ण ने अपने जीवन में अनेक वीरतापूर्ण कार्य किये। इनमें अरिष्ट बैल का वध करना, यमलार्जुन को नष्ट करना, कालियनाग का दर्प हरण करना, महाशकुनि और पूतना को मारना तथा चाणूर, कंस तथा जरासंध इत्यादि का वध शामिल है। 4. श्री कृष्ण द्वारिका के महान् महिमाशाली वासुदेव राजा थे। अनेक अधीनस्थ राजाओं, ऐश्वर्यमान नागरिकों सहित विन्ध्याचल से सागर पर्यन्त दक्षिण भारत-क्षेत्र उनके प्रभाव में था।
SR No.004299
Book TitleJinsenacharya krut Harivansh Puran aur Sursagar me Shreekrishna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayram Vaishnav
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2003
Total Pages412
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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