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________________ सकती है जब वह इस माया के झूठे भ्रम को तोड़े। माया को सूर ने असत्य माना है तथा कहा है कि यह झूठी होने पर भी सत्य सी प्रतीत होती है। पशु जैसे बन्धन में पड़कर परवश हो जाता है, उसी प्रकार सूर कहते हैं कि मैं भी माया के हाथ बिक गया हूँ। अब हो माया हाथ बिकानौ परवश भयो पशु ज्यों रजु बस, भज्यों न श्रीपति रानौ। हिंसा मद ममता रस भूल्यों, आशा ही लपटानौ। अपने ही अज्ञान तिमिर में, बिसर्यो परम ठिकानौ। सूरदास की एक अंजरी है, ताहूँ मैं कुछ कानौ। 3 इस अविद्या माया के अन्धकार को दूर करने का उपाय सूर ने भगवान् के अनुग्रह से ही माना है। वे भगवान् से इस भ्रम जाल से छुटकारा प्राप्त करने हेतु प्रार्थना करते हैं कि मैं भवरूपी सागर के मायारूपी गंभीरजल में डूबे जा रहा हूँ, आप ही मुझे किनारे लगा दीजिए।" इस भव के अन्धकार से छुटकारा आप के पद-नख-चन्द्र प्रकाश से ही हो सकता है। . सूर स्याम पद नख प्रकाश बिनु क्यौं करि तिमिर नसावे।७५ सूर ने न केवल अविद्या का ही वर्णन किया है वरन् विद्या माया को भी स्थानस्थान पर वर्णित किया है। हरि इच्छा से ही सृष्टि का सर्जन करने वाली विद्या माया का चित्रण करते हुए वे कहते हैं कि जब भगवान् की इच्छा होती है, तब यही माया सृष्टि का निर्माण करती है। बहरि जब हरि इच्छा होय। देखे माया के दिसी जोय। माया सब तन ही उपजावै। ब्रह्मा सो पुनि सृष्टि उपावै॥४६ शुद्धाद्वैत की मान्यतानुसार सूरसागर में ऊर्ध्वलिखित प्रकार से अविद्या माया तथा विद्यामाया का विस्तृत वर्णन हुआ है। भगवान् की अनुकम्पा एवं उनकी इच्छा से ही मनुष्य इस अविद्या माया से मुक्ति पा सकता है। ___ जैन दर्शन में माया का वर्णन नहीं मिलता है। जो माया ब्रह्मरूपा है तथा जीव को पथभ्रष्ट करती है। उनके मतानुसार जीव आस्रव के कारण कर्म में आते हैं तथा वे बन्ध हो जाते हैं परन्तु संयम के द्वारा उसे रोका जा सकता है। निर्जरा होने से संचित कर्मों का नाश हो जाता है तथा नये कर्म जीव को नहीं बाँधते। इस प्रकार ब्रह्म द्वारा माया को उसकी अगाध शक्ति स्वीकार न करके, व्यक्ति के कर्मों को ही महत्त्व दिया है। - % 3D
SR No.004299
Book TitleJinsenacharya krut Harivansh Puran aur Sursagar me Shreekrishna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayram Vaishnav
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2003
Total Pages412
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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