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________________ मैया री मैं चंद लहौंगो। कहा करौं जलपुट भीतर कौ, बाहर ब्यौं कि गहोंगी। यह झलमलात झकझोरत कैसे कै जु लहौंगौ। वह तो निपट निकटही देखत, बरज्यौ हौं न रहौंगौ। तुम्हरो प्रेम प्रकट मैं जान्यौं, बौराऐ न बहौंगौ। सूर स्याम कहै कर गहि ल्याऊँ, ससि-तन-दाय दहौंगौ।१५ हरिवंशपुराण में ऐसे मनोहारी दृश्यों तथा बाल-सुलभ स्वाभाविक हठ इत्यादि प्रसंगों का अभाव है। श्री बालकृष्ण के लोकोत्तर पराक्रम .. (क) पूतना-वध : सरसागर एवं हरिवंशपुराण दोनों में यह प्रसंग उल्लेखित है कि पूतना एक भयंकर राक्षसी थी, जिसे कंस ने बालक कृष्ण को मारने के लिए गोकुल में भेजा था। यह एक सुंदर युवती का स्वरूप धारण कर गोकुल में नन्दबाबा के घर में घुस गई एवं सोये हुए कृष्ण को उसने अपनी गोद में ले लिया। बाल कृष्ण को अपना स्तनपान करवाकर वह उन्हें मारना चाहती थी परन्तु कृष्ण उसके इरादे को जान गये। उन्होंने अपने मुख को कठोर करके इतने जोर से स्तन-पान किया कि उसके प्राण-पखेरू उड़ गये। वह धरती पर गिर पड़ी। ब्रजवासियों ने पूतना के शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर डाले एवं गोकुल के बाहर ले जाकर उसे जला डाला। सरसागर में यह प्रसंग अपेक्षाकृत विस्तृत स्वरूप से आया है। सूर ने अपने अनेक पदों में इस प्रसंग को उल्लेखित कर श्री कृष्ण की अलौकिक शक्ति को वर्णित किया है। कृष्ण द्वारा पूतना के स्तन-पान करते ही प्राण निकल जाता है। वह एक योजन दूर गिर जाती है।१६ सारे ब्रज में हर्षोल्लास छा जाता है। उधर मथुरा के राजा कंस को जब इस घटना की जानकारी मिलती है, तब वह अत्यन्त विस्मय में पड़ जाता है। वह सोच करने लगता है और बाल-कृष्ण को मारने के दूसरे उपाय सोचने लगता है। हरिवंशपुराण में मथुरानरेश कंस द्वारा प्रेरित असुरों के वध की कथा कुछ परिवर्तन के साथ प्रस्तुत की गई है। __ पूतना वध के प्रसंग में जब मथुरा में उत्पात बढ़ने लगे तो कंस ने सात देवियों को अपने शत्रु को मारने भेजा। उनमें से पूतना नाम की एक देवी थी। वह कृष्ण को दूध पिलाकर मारने के उद्देश्य से नन्द के घर पहुंची। परन्तु श्री कृष्ण की रक्षा लिए तत्पर दूसरी देवी ने उसके स्तनों में पीड़ा कर वहाँ से उसे भगा दिया। कंस ने उपवास करके
SR No.004299
Book TitleJinsenacharya krut Harivansh Puran aur Sursagar me Shreekrishna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdayram Vaishnav
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2003
Total Pages412
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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