________________ सूरदास-जीवन घटनाक्रम :(1) संवत् 1535 में जन्म, जन्मस्थान-सीही ग्राम, वंश सारस्वत ब्राह्मण (2) संवत् 1541 में गृह त्याग "सीही" से चार कोस दूर तालाब के निकट पीपल के / पेड़ के नीचे वास (3) संवत् 1553 में गऊघाट पर आगमन (4) संवत् 1567 में वल्लभाचार्यजी से भेंट तथा दीक्षा (5) संवत् 1607 वि० में अष्टछाप की स्थापना तथा प्रमुख पद पर प्रतिष्ठित (6) संवत् 1626 वि० में महाकवि तुलसीदास से भेंट (7) संवत् 1631 वि० में मुगल सम्राट् अकबर से भेंट (8) संवत् 1640 वि० में महाप्रयाण सूर की रचनाएँ : महाकवि सूरदास के व्यक्तित्व पर विचार करने के बाद अब हम उनके द्वारा . निर्मित साहित्य का परिचय प्राप्त करेंगे। सूर ने अपने जीवनकाल में अनेक कृतियों की रचना की है जिससे हिन्दी साहित्य में उनका मूर्धन्य स्थान है। वार्ता-साहित्य में सूर के सहस्रावधि पदों का उल्लेख मिलता है, इससे कई विद्वान उनके द्वारा रचित सवा लाख पदों की संभावना प्रकट करते हैं। "काशी नागरी प्रचारिणी सभा की खोज रिपोर्ट 'इतिहास ग्रन्थ एवं ग्रन्थागारों में सुरक्षित सामग्री' के आधार पर सूर के अधिकाधिक 25 ग्रन्थ माने जाते हैं।"५८ (1) सूरसागर (2) सारावली - (3) साहित्य-लहरी (4) भागवत-भाषा (5) सूर-रामायण (6) दशमस्कन्ध भाषा (7) सूरसागर-सार (8) मानलीला (9) राधारसकेलिकौतुहल (10) गोवर्धन-लीला (सरस-लीला) (11) दानलीला (12) भंवरगीत (13) नागलीला (14) ब्याहलो (15) प्राणप्यारी (16) दृष्टिकूट के पद (17) सूरशतक (18) सूरसाठी (19) सूर-पच्चीसी (20) सेवाफल (21) हरिवंश टीका (22) सूरदास के विनय आदि के स्फुट पद (23) एकादशी माहात्म्य (24) नल-दमयन्ती (25) राम-जन्म परन्तु ये सभी ग्रन्थ सूरदास के नहीं हो सकते हैं क्योंकि इनमें से कुछ में सूरदास की प्रियशैली तथा विषय की भिन्नता है। कई ग्रन्थ तो सूरसागर के ही कुछ पदों का