________________ 1. सूर की बेरियाँ निठूर होई बैठे, जन्म अंध कर्यो। 2. रह्यो जात एक पतित जनम को, आँधरो सूरदास को। बाह्य साक्ष्यों में श्रीनाथजी भट्ट तो सूरदास के समकालीन माने जाते हैं। उनका "जन्मान्धो सूरदासोऽभूत" लिखा द्रष्टव्य है। श्री रघुनाथसिंह ने "रासरसिकावली" में भी जन्मान्धता को स्वीकार करते हुए लिखा है कि जनमते है नैन विहीना, दिव्यदृष्टि देखहि सूख भीना। भक्तविनोद में कवि मियाँसिंह ने लिखा है कि सो सूरदासजी कै जनमत ही सौ नेत्र नाही है। श्री हरिराय जी ने "भक्तमाल" में इसी का समर्थन किया है। ___इस प्रकार अनेक अन्तः साक्ष्य तथा बाह्य साक्ष्यों के आधार पर विद्वानों ने अपने मत का समर्थन देते हुए सूर को जन्मान्ध माना है। इस सम्बन्ध में मुंशीराम शर्मा का मन्तव्य द्रष्टव्य है "यह तो साधारणं मनुष्यों की बात है, सूर जैसे उच्च कोटि के सन्त की तो बात ही निराली है। वे भगवद् भक्त थे, अघटित घटना घटा देने वाले प्रभु के सच्चे भक्त के सामने विश्व के निगूढ़ रहस्य भी अनवगत नहीं रहते। साधारण कवि जिस वस्तु को नेत्र रहते हुए भी नहीं देख सकता, उसे क्रान्तदर्शी व्यक्ति एवं महात्मा अनायास ही देख लेते हैं / / 43 . . इस संदर्भ में डॉ० हरवंशलाल शर्मा का मत भी अवलोकनीय है-"यह बात तो नहीं भूलनी चाहिए कि जिन व्यक्तियों के अन्त:करण के नेत्र उन्मीलित हो जाते हैं, वे अन्तर्जगत से बाह्य जगत का साक्षात्कार करने लगते हैं। पाश्चात्य भौतिकवाद एवं जड़वाद से प्रभावित होकर भारतीय ब्रह्म ज्ञान को महत्त्व की छीछालेदार व्याख्या अनुचित है।"७४ उपर्युक्त प्रकार से विद्वानों ने भगवत् कृपा तथा दिव्य दृष्टि की चर्चा करते हुए सूर को जन्मान्ध माना है क्योंकि "जाकी कृपा पंगु गिरि लंघे अन्धे को सब कुछ दरसाई"। परन्तु ऐसे कई विद्वान हैं जो सूर की जन्मान्धता को चुनौती देते हैं। इनमें मिश्र बन्धु डॉ० श्यामसुन्दरदास, डॉ० बेनीप्रसाद, डॉ० ब्रजेश्वर शर्मा, श्री नलिनी मोहन सान्याल, डॉ० राजरतन भटनागर आदि कई विद्वान सूर के सजीव वर्णनों के आधार पर सूर को जन्मान्ध मानने में सहमत नहीं हैं। इन विद्वानों का मत है कि सूर बाद में अन्धे हो गये थे क्योंकि कोई भी जन्मान्ध व्यक्ति इतना सुन्दर सौन्दर्य-वर्णन तथा प्राकृतिक दृश्यों का चित्रण नहीं कर सकता है। सूर ने जिस तरह की उपमाओं का वर्णन किया है, उनका, मात्र कल्पना के आधार पर जिसने कभी उन्हें देखा नहीं हो, वह कभी नहीं कर सकता है। मनोवैज्ञानिक - - - -