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________________ जैन सम्प्रदायों के ऐतिहासिक स्रोत : 39 उत्पत्ति सम्बन्धी कथानक दिये गये हैं / इस प्रकार जैन साहित्य जैनधर्म के विविध सम्प्रदायों एवं उपसम्प्रदायों के इतिहास और मान्यताओं को समझने का एक महत्त्वपूर्ण साधन है / जैन मूर्तियाँ : भारत में प्राचीनतम मूर्तियाँ सिन्धु सभ्यता ( ई० पू० दो-तीन हजार वर्ष ) के उत्खनन से उपलब्ध हुई हैं। प्रो० यू० पो० शाह लिखते हैं"इस सभ्यता में प्राप्त मोहनजोदड़ों के पशुपति को यदि शैव धर्म का देव मानें तो हड़प्पा से प्राप्त नग्न घड़ को दिगम्बर मत को खण्डित प्रतिमा मानने में आपत्ति नहीं होनी चाहिए।' इससे यह सिद्ध होता है कि दो-तीन हजार वर्ष ई०पू० में भी जैनधर्म का अस्तित्व था। जैन परम्परा में महावीर के जीवन काल में ही उनकी चन्दन की एक प्रतिमा का निर्माण करने का उल्लेख मिलता है, जिन्हें जीवन्तस्वामी को संज्ञा दी गई है। प्रो० यू०पी० शाह ने जीवन्तस्वामी की दो गुप्तकालीन कांस्य प्रतिमाओं का उल्लेख किया है जो लगभग पाँचवीं-छठी शताब्दी की हैं। जोवन्तस्वामी की मूर्ति का उल्लेख सर्वप्रथम वसुदेवहिण्डी (610 ई० ) में मिलता है / जीवन्तस्वामी की मूर्ति एवं उससे सम्बन्धित कथा का उल्लेख जिनदासकृत आवश्यकचूणि ( 676 ई०), त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र ( 1169-1172 ई०) तथा क्षमाश्रमण संघदास रचित बहत्कल्पभाष्य आदि में भी मिलता है। जीवन्तस्वामी की इन प्रतिमाओं से यद्यपि जैनधर्म के विविध सम्प्रदायों के उद्भव एवं विकास सम्बन्धी जानकारी तो नहीं मिलती है तथापि इनसे इतना तो सूचित होता है कि महावीर के जीवन काल में भी उनकी मूर्तियाँ बनने लगी थीं। ___ सर्वप्रथम हत्थीगुम्फा अभिलेख में यह उल्लेख है कि जो जिनप्रतिमा * नन्दशासक ( ई० पू०४थी शती) उड़ीसा से मगध ले गया था, उसे खारवेल (ई० पू० प्रथम शती) वापस उड़ीसा लेकर आया।' तात्पर्य यह - 1. स्टडीज इन जैन आर्ट, चित्रफलक क्रमांक 1 2. शाह, यू० पी०-ए युनिक इमेज ऑफ जीवन्तस्वामी, जर्नल ओरियण्टल . इन्स्टीट्यूट, बड़ोदा, खण्ड 1, अंक 1, पृष्ठ 72-79 - 3. वसुदेवहिण्डी ( संघदासकृत ) खण्ड 1, पृष्ठ 252-325 4. तिवारी, मारुतिनन्दनप्रसाद, जैन मूर्तिकला को परम्परा, केसरीमलसुराणा ' अभिनन्दन ग्रंथ, खण्ड 6, पृष्ठ 152 / 5. तिवारी, मारुतिनन्दनप्रसाद, प्रतिमाविज्ञान, पृष्ठ 17
SR No.004297
Book TitleJain Dharm ke Sampraday
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSuresh Sisodiya
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1994
Total Pages258
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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