________________ जैनधर्म का उद्भव और विकास : 31 के अनुसार महावीर के निर्वाण के पश्चात् 12 वर्ष तक गोतम ने ही संघ का दायित्व संभाला था। 2. आर्य सुधर्मा-गणधर गोतम के पश्चात् आर्य सुधर्मास्वामी को आचार्य पद पर प्रतिष्ठित किया गया था। 3. आर्य जम्बू-आर्य जम्बू का जन्म महावीर निर्वाण के 16 वर्ष पूर्व हुआ था। वे 36 वर्ष की आयु में जैनसंघ के आचार्य बने / वी० नि० सं० 64 में 80 वर्ष की आयु पूर्ण करके वे स्वर्गवासी हुए। 4. आर्य प्रभवस्वामी-आर्य जम्बू के पश्चात् आर्य प्रभवस्वामी आचार्य बने थे। 105 वर्ष की आयु पूर्ण करके वे स्वर्गवासी हुए / 5. आर्य शय्यंभव-आर्य प्रभवस्वामी के पट्टधर आर्य शय्यंभव 85 वर्ष की आयु पूर्ण करके वी० नि० सं० 98 में स्वर्गवासी हुए। 6. आर्य यशोभद्र-आर्य शय्यंभव के प्रधान शिष्य आर्य यशोभद्र 86 वर्ष की आयु पूर्ण करके वी० नि० सं० 148 में स्वर्गवासी हुए। 7. आर्य संभूतिविजय-आर्य यशोभद्र के उत्तराधिकारी आर्य संभूतिविजय 90 वर्ष की आयु पूर्ण करके वी०नि० सं० 156 में स्वर्गवासी ८.आर्य भद्रबाह-पंचमश्रुतकेवलो के रूप में विख्यात आर्यभद्रबाह स्वामो चौदहपूर्व ग्रन्थों के ज्ञाता थे। उनका स्वर्गवास वी०नि० सं० 170 में हआ। 9. आर्य स्थुलिभद्र-आर्य स्थुलिभद्र महापंडित के रूप में विख्यात थे। वी० नि० सं० 215 में 99 वर्ष की आयु पूर्ण करके आप स्वर्गवासी हुए। 10. आर्य महागिरि-आर्य महागिरि उन तपस्वी थे तथा उन्हें दस पूर्व ग्रन्थों का ज्ञान था। 100 वर्ष को आयु पूर्ण करके आप वी०नि० सं० 245 में स्वर्गवासी हुए। 11. आर्य सुहस्ती-आर्य महागिरि के बाद आर्य सुहस्ती आचार्य बने थे। आप भी 100 वर्ष की आयु पूर्ण करके वी० नि० सं० 291 में स्वर्गवासी हुए। 12. आर्य सुस्थित-आर्य सुहस्ती के पट्टधर आर्य सुस्थित 96 वर्ष की आयु पूर्ण करके वो० नि० सं० 339 में स्वर्गवासी हुए। .. .बार्य सुमतिपर-आर्य सुहस्तो के पश्चात् आर्य सुप्रतिबद्ध आचार्य बने।