________________ जैनधर्म का उद्भव और विकास : 15 विद्वानों ने इन चौबीस तीर्थङ्करों में से पहले तीर्थङ्कर ऋषभदेव और बाईसवें तीर्थङ्कर अरिष्टनेमि को प्रागेतिहासिक तथा तेईसवें तीर्थङ्कर पार्श्वनाथ और चौबीसवें तीर्थकर महावीर को ऐतिहासिक व्यक्ति माना है / यहाँ हम इन चार तीर्थङ्करों का संक्षिप्त विवरण भी प्रस्तुत कर ऋषभदेव : ऋषभदेव वर्तमान अवसर्पिणी काल के प्रथम तीर्थङ्कर माने जाते हैं। इनके पिता नाभिराज और माता मरूदेवी थीं।' ऋषभदेव के जन्म के सन्दर्भ में श्वेताम्बर एवं दिगम्बर दोनों परम्पराओं में मतभेद है। श्वेताम्बर परम्परानुसार ऋषभदेव का जन्म चैत्रकृष्णा अष्टमी के दिन हुआ था जबकि दिगम्बर परम्परानुसार ऋषभदेव का जन्म चैत्र कृष्णा नवमी के दिन हुआ था / जैन मान्यतानुसार ऋषभदेव का काल लाखों और करोड़ों वर्ष पहले का है इसलिए उस समय के इतिहास के विषय में आज प्रामाणिक तौर पर कुछ कहना कठिन है। जनश्रुति और चरित्र ग्रन्थों के आधार पर उनके जीवनवृत का केवल अनुमान ही लगाया जा सकता है। __ ऋषभदेव का नामोल्लेख एवं उनका प्राचीन इतिहास न केवल जैन साहित्य में वरन् वैदिक साहित्य एवं बौद्ध साहित्य में भी उपलब्ध होता है / ऋग्वेद में ऋषभदेव का स्पष्ट नामोल्लेख मिलता है। ताण्डयब्राह्मण और शतपथब्राह्मण में नाभिपुत्र ऋषभ और ऋषभ के पुत्र भरत का उल्लेख मिलता है। उत्तरकालोन हिन्दू परम्परा के ग्रन्थों-मार्कण्डेय"पुराण, कर्मपुराण, अग्निपुराण, वायुपुराण, गरुडपुराण, ब्रह्माण्डपुराण, विष्णुपुराण तथा स्कन्धपुराण के साथ-साथ श्रीमद्भागवत् में भी ऋषभ देव से सम्बन्धित उल्लेख उपलब्ध होते हैं। भागवतपुराण में ऋषभदेव * 1. (क समवायांगसूत्र, 24 / 160 (ख) कल्पसूत्रम्, 191 .. (ग) जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिसूत्र, 2 / 37 / / 2. (क) आवश्यकनियुक्ति, 187 (ख) कल्पसूत्रम्, 193 .. (ग) महापुराण (जिनसेन), 13 / 1-3 3. ऋग्वेद, 4 / 58 / 3, 10 / 166 / 1 4. ताण्डयब्राह्मण, 14 // 2-5; शतपथब्राह्मण, 5 / 2 / 5 / 10 5. मार्कण्डेयपुराण, 50 / 39-42; कर्मपुराण, 41 / 37-38; अग्निपुराण, 10 // 10-11, वायुपुराण, 33 / 50-52; गरुडपुराण, 1; ब्रह्माण्डपुराण, 14 / 61%;